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चरन चलौ श्रीवृंदावन मग , ...

भजन - चरन चलौ श्रीवृंदावन मग , ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


चरन चलौ श्रीवृंदावन मग, जहँ सुनि अलि पिक कीर ॥

कर तुम करौ करम कृष्णार्पण अहंकार तजि धीर ।

मस्तक नवियौ हरिभक्तनको छाँड़ि कपटको चीर ॥

स्त्रवन सदा सुनियौ हरि-जस-रस, कथा भागवत हीर ।

नैना तरसि तरसि जल ढरियौ, पिय मग जाय अधीर ॥

नासा तबलौं स्वाँसा भँरियौ, सुरता रखि पिय तीर ।

रसना चखियो महा प्रसादै, तजि बिषया-बिष नीर ॥

सुधि बुधि बढ़े प्रेम चरनन, ज्यों तृष्णा बढ़े शरीर ।

चित्त चितेरे, लिखियो पियकी, मूरति ह्रदय कुटीर ॥

इंद्रिय मन तन भजौ श्यामकों, बढ़े बिरहकी पीर ।

जुगलप्रिया आसा जिय धरियो, मिलिहैं श्रीबलबीर ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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