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सुनिये नाथ गरीब निवाज , आ...

भजन - सुनिये नाथ गरीब निवाज , आ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


सुनिये नाथ गरीब निवाज, आई सरन तुम्हें सब लाज ॥

अधम-उधारन बिरद सम्हारन, त्रिभुवनके, सिरताज ।

कुंजद्वार हौं खड़ी कबैकी, त्राहि त्राहि महराज ॥

करुनाकर अब बोलि लीजिये, करिये बिलम न आज ।

जुगलप्रियाको अभय कीजिये, यह नहिं कछु बड़ काज ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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