हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|युगलप्रियाजी|
साँवलियाकी चेरी कहौ री ॥...

भजन - साँवलियाकी चेरी कहौ री ॥...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


साँवलियाकी चेरी कहौ री ॥

चाहे मारौ चहै जिवावौ, जनम जनम नहिं टेक तजौ री ।

कर गहि लियौ कहत हौं साँची, नहिं मानै तो तेरी सौं री ॥

जो त्रिभुवन ऐश्वर्य लुभावै, तिनका लौं हौं सो समुझौं री ।

जुगलप्रिया सुन मेरी सजनी, प्रगट भई अब नाहिन चोरी ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 25, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP