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माई उमड़ि घुमड़ि घन आये । ...

भजन - माई उमड़ि घुमड़ि घन आये । ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


माई उमड़ि घुमड़ि घन आये ।

निसि अँधियारी झुकी सावनकी न्यारी,

चली री जति दोउ चरन दबाये ॥

चपला चमकाई चख रहे चकराई,

बूँदन झर लाई पिउ भीजत पाये ।

जुगलपियारी प्रीति रीति कछु न्यारी,

रोकि रहीं सब नारी पिया कंठ लगाये ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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