हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|चालीसा|
जयति सूर्य नारायण स्...

श्री सूर्य चालीसा - जयति सूर्य नारायण स्...

चालीसा , देवी देवतांची काव्यात्मक स्तुती असून , भक्ताच्या आयुष्यातील सर्व संकटे दूर होण्यासाठी मदतीची याचना केली जाते .


जयति सूर्य नारायण स्वामी। करहु कृपा प्रभु अन्तर्यामी ॥

दोहा

श्री गणपति पद कमल महँ , प्रेम सहित धरि ध्यान ।

सूरज चालीसा कहौं , द्रवौ दया करि नाथ ॥

जय दिनकर जय दिवाकर , दीनदयाल दिनेश।

जय जग पालक प्रभाकर , कीजै हरण कलेश ॥

चौपाई

जयति सूर्य नारायण स्वामी।

करहु कृपा प्रभु अन्तर्यामी

अगन कांति धर गगन बिहारी।

अनुपम ज्योति कला छबि न्यारी ॥

युग सहस्त्र योजन तनु राजै

माथे कनक मुकुट - मणि साजै

कुण्डल कलित कपोलन सोहै।

सो लखि तेज तेज - पति मोहै ॥

श्वेत वर्ण षट् - दश हय नाधे।

अरुण सारथी रजु कर - साधे

नौ लख योजन रथ चौड़ाई।

सो छत्तीस लक्ष लम्बाई ॥

रत्न जड़ित रथ पर प्रभु राजित।

लखि गति सहस चंचला लाजित

नौ करोड़ इक्यावन लाखा।

परिक्रमा रवि की श्रुति भाखा ॥

अगणित दैत्य नित्य संहारहिं।

जग भक्तन कर कष्ट निवारहिं

उदय होत निशि कहँ तम भाजै।

तब सतयुग कर डंका बाजै ॥

धनि हो धन्य भानु भगवाना।

तब महिमा प्रत्यक्ष बखाना

तेजराशि अतुलित बल धारी।

तब महिमा वरणत त्रिपुरारी ॥

सुनहु उमा शुभ चरित दिनेशा।

सकल हरण जन कष्ट कलेशा

कुष्ट वरण जिनके तन होई।

रवि पर ध्यान धेरै नित जोई ॥

व्रत बिनु लोन करै रविवारा।

ब्रह्मचर्य युत धारि विचारा

द्विज सन रविकर सुनै पुराना।

पूजन करै राखि उर ध्याना ॥

हवन कराइ धेरै मन धीरा।

सोइ भस्म लै मलै शरीरा

निश्चय छूटै कुष्ट कलेशा।

ऐसे दीन दयालु दिनेशा ॥

अन्धहु प्रभु महँ ध्यान लगावै

निश्चय दिव्य दृष्टि को पावै

जो निश्चय कर प्रेम प्रतीती।

निशदिन रवि पर धारै प्रीती ॥

रवि दिन प्रेम सहित चित लाई।

सूर्य पुराण सुनै सुखदाई

करै नेम द्वादश रविवारा।

रहे लोन बिनु एक अहारा ॥

करै शयन कुश कास डसाई।

हर्षित सदा सूर्य गुण गाई

जो अस प्रभु महँ ध्यान लगावै ।

बन्ध्यहु नारि पुत्र सुख पावै ॥

कह शिव संशय करै कोई।

सत्य वचन मम मृषा होई

जग हित लागि प्रेम रस बानी।

मुनि अस गौरि हृदय हर्षानी ॥

धन्य - धन्य सूरज अघनाशी।

दीन दयानिधि मंगल राशी

महा अधिन कहँ तारण वाले ।

नारद शाप निवारण वाले ॥

सत्राजित के मान रखैया।

मणि ते स्वर्ण मेह वर्षेया

प्रात रूप धारे चतुरानन ।

राजे तवण विष्णु रूप मध्यानन ॥

शम्भु रूप धरि सायंकाला।

त्रिभुवन माहि करै प्रति पाला

वर्ष बीच पुनि बारह नामा।

धरि भक्तन कर पूजहि कामा ॥

षट ऋतु दिन तिथि वर्ष महीना।

पलक मुहूर्त तुम्हें आधीना

खग मृग जीव जन्तु नर नारी।

घन गर्जत नभ वर्षत बारी ॥

वृक्ष लतादिक प्रभु तव जानत।

फूलत फरत झरत पुनि जामत

चन्द्रादिक नवग्रह नभ तारें।

ये सब तुम्हरहि नाथ सहारें ॥

धन्य सूर्य नारायण स्वामी।

दिव्य दृष्टि दै अन्तर्यामी

करहु वेगि अब पूरण आशा।

होइ हृदय मम ज्ञान प्रकाशा ॥

जो यह चरित सूर्य को गावै

सब सुख भोग परम पद पावै

नमत राम सुन्दर प्रभु दासा ।

लग प्रयाग आश्रम दुर्वासा ॥

दोहा

रवि चालीसा प्रेम युत , पाठ करे धरि ध्यान।

सुख सम्पत्ति आयु बढ़े , होई सदा कल्यान ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : June 09, 2025

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP