हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|रामदासकृत हिन्दी मनके श्लोक|पूर्णदशक| ॥ समास छठवां - आत्मागुणनिरूपणनाम ॥ पूर्णदशक ॥ समास पहला - पूर्णापूर्णनिरूपणनाम ॥ ॥ समास दूसरा - सृष्टित्रिविधलक्षणनिरूपणनाम ॥ ॥ समास तीसरा - सूक्ष्मनामाभिधानाम ॥ ॥ समास चौथा - आत्मनिरूपणनाम ॥ ॥ समास पांचवां - चत्वारजिनसनाम ॥ ॥ समास छठवां - आत्मागुणनिरूपणनाम ॥ ॥ समास सातवां - आत्मनिरूपणनाम ॥ ॥ समास आठवां - देहक्षेत्रनिरूपणनाम ॥ ॥ समास नववां - सूक्ष्मनिरूपणनाम ॥ ॥ समास दसवां - विमलब्रह्मनिरूपणनाम ॥ पूर्णदशक - ॥ समास छठवां - आत्मागुणनिरूपणनाम ॥ इस ग्रंथके पठनसे ‘‘उपासना का श्रेष्ठ आश्रय’ लाखों लोगों को प्राप्त हुआ है । Tags : hindimanache shlokramdasमनाचे श्लोकरामदासहिन्दी ॥ समास छठवां - आत्मागुणनिरूपणनाम ॥ Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ देखने जाओ भूमंडल । ठाई ठाई है जल । कई एक वे पठार निर्मल । जल बिन पृथ्वी ॥१॥ वैसे दृश्य हुआ विस्तारित । कुछ ज्ञातृत्व से हुआ शोभित । शेष रहा ज्ञातृत्वरहित । कई एक दृश्य ॥२॥चारों खानि चारों वाणी । चौरासी लक्ष जीवयोनि । शास्त्रों में सारी कथनी । नियमबद्ध है ॥३॥॥ श्लोक ॥ जलजा नवलक्षाश्च दशलक्षाश्च पक्षिणः । कृमयो रुद्रलक्षाश्च विंशल्लक्षा गवादयः । स्थावरास्त्रिंशल्लक्षाश्च चतुर्लक्षाश्च मानवाः । पापपुण्यं समं कृत्वा नरयोनिषु जायते ॥छ॥मनुष्य चार लाख । पशु बीस लाख । कृमि ग्यारह लाख । कहे हैं शास्त्रों में ॥४॥ दस लाख वे खेचर । नौ लाख जलचर । तीस लाख स्थावर । कहे हैं शास्त्रों में ॥५॥ ऐसे चौरासी लाख योनि । जितनी उतना जानता प्राणी । प्रस्तुति अनंत देहों की । मर्यादा कैसी ॥६॥ होते जाते अनंत प्राणी । उनका अधिष्ठान धरती । धरती से अलग स्थिति । उन्हें कैसी ॥७॥ आगे देखने पर पंचभूत । स्पष्ट दशा किये प्राप्त । कोई विद्यमान कोई स्थित । यूं ही रहते ॥८॥ अंतरात्मा की पहचान । वहीं जहां है चपलपन । ज्ञातृत्व का अधिष्ठान । सावधानी से सुनें ॥९॥ सुख दुःख जानता जीव । वैसे ही जानिये सदा शिव । अंतःकरणपंचक अपूर्व । अंश आत्मा का ॥१०॥स्थूल में आकाश के गुण । अंश आत्मा के जान । सत्त्व रज तमोगुण । गुण आत्मा के ॥११॥ नाना विचार नाना धृति । नवविधा भक्ति चतुर्विधा मुक्ति । अलिप्तपन सहजस्थिति । गुण आत्मा के ॥१२॥ द्रष्टा साक्षी ज्ञानघन । सत्ता चैतन्य पुरातन । श्रवण मनन विवरण । गुण आत्मा के ॥१३॥ दृश्य द्रष्टा दर्शन । ध्येय ध्याता ध्यान । ज्ञेय ज्ञाता ज्ञान । गुण आत्मा के ॥१४॥ वेदशास्त्रपुराणअर्थ । गुप्त चला परमार्थ । सर्वज्ञता से समर्थ । गुण आत्मा के ॥१५॥ बद्ध मुमुक्ष साधक सिद्ध । विचार देखना शुद्ध । बोध और प्रबोध । गुण आत्मा के ॥१६॥ जागृति स्वप्न सुषुप्ति तुर्या । प्रकृतिपुरुष मूलमाया । पिंड ब्रह्मांड अष्टकाया । गुण आत्मा के ॥१७॥परमात्मा और परमेश्वरी । जगदात्मा और जगदेश्वरी । महेश और माहेश्वरी । गुण आत्मा के ॥१८॥ सूक्ष्म जितने नामरूप । उतने आत्मा के स्वरूप । संकेत नामाभिधान अनाप । सीमा नहीं ॥१९॥ आदि शक्ति शिवशक्ति । मुख्य मूलमाया सर्वशक्ति । नाना जिनस उत्पत्ति स्थिति । उतने गुण आत्मा के ॥२०॥ पूर्वपक्ष और सिद्धांत । गाना बजाना संगीत । नाना विद्या अद्भुत । गुण आत्मा के ॥२१॥ ज्ञान अज्ञान विपरीत ज्ञान । असद्वृत्ति सवृत्ति जान । ज्ञप्तिमात्र अलिप्तपन । गुण आत्मा के ॥२२॥ पिंड ब्रह्मांड तत्त्वनिरसन । नाना तत्त्वों का निर्णय । विचार देखना स्पष्ट । गुण आत्मा के ॥२३॥ नाना ध्यान अनुसंधान । नाना स्थिति नाना ज्ञान । अन्वय आत्मनिवेदन । गुण आत्मा के ॥२४॥ तैंतीस कोटि सुरवर । अठ्यासी सहस्र ऋषेश्वर । भूत खेचर अपार । गुण आत्मा के ॥२५॥ भूतावली साढे तीन कोटि । चामुंडा छप्पन कोटि । कात्यायनी नौ कोटि । गुण आत्मा के ॥२६॥ चंद्र सूर्य तारामंडल । नाना नक्षत्र ग्रहमंडल । शेष कूर्म मेघमंडल । गुण आत्मा के ॥२७॥ देव दानव मानव । नाना प्रकारों के जीव । देखो तो सकल भावाभाव । गुण आत्मा के ॥२८॥ आत्मा के नाना गुण । ब्रह्म निर्विकार निर्गुण । जानना एकदेशीय पूर्ण । गुण आत्मा के ॥२९॥ आत्माराम उपासना । उससे पा लिये निरंजना । निःसंदेह अनुमान का । ठांव ही नहीं ॥३०॥ इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे आत्मागुणनिरूपणनाम समास छठवां ॥६॥ N/A References : N/A Last Updated : December 09, 2023 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP