श्री रूद्राध्याय - अनुवाक चवथा

रूद्राध्याय पठण केल्याने श्री शंकराची कृपा होऊन, इच्छित सर्व कार्ये पार पडतात.


नम आव्याधिनीभ्यो विविध्यन्तीभ्यश्च वो नमो ॥१॥
नम उगणाभ्यस्तृ हतीभ्यश्च वो नमो ॥२॥
नमो गृत्सेभ्यो गृत्सपतिभ्यश्च वो नमो ॥३॥
नमो व्रातेभ्यो व्रातपतिभ्यश्च वो नमो ॥४॥
नमो गणेभ्यो गणपतिभ्यश्च वो नमो ॥५॥
नमो विरूपेभ्यो विश्वरूपेभ्यश्च वो नमो ॥६॥
नमो महभ्द्य: क्षुलकेभ्यश्च वो नमो ॥७॥
नमो रथिभ्योऽरथेभ्यश्व वो नमो ॥८॥
नमो रथेभ्यो रथपतिभ्यश्च वो नमो ॥९॥
नमो: सेनाभ्य: सेनानिभ्यश्च वो नमो ॥१०॥
नम: क्षतृभ्य: संग्रहीतृभ्यश्च वो नमो ॥११॥
नमस्तक्षभ्यो रथकारेभ्यश्च वो नमो ॥१२॥
नम:कुलालेभ्य: कमरिभ्यश्च वो नमो ॥१३॥
नम: पुञ्जिष्टेभ्यो निषादेभ्यश्च वो नमो ॥१४॥
नम इषुकृभ्द्यो धन्वकृभ्द्यश्च वो नमो ॥१५॥
नमो मृगयुभ्य: श्वनिभ्यश्च वो नमो ॥१६॥
नम: श्वभ्य: श्वपतिभ्यश्च वो नमो ॥१७॥

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Last Updated : February 01, 2013

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