मराठी मुख्य सूची|स्तोत्रे|मारुती स्तोत्रे| बाल समय रबि भक्षि लियो तब... मारुती स्तोत्रे भीमरूपी महारुद्रा वज्र हन... श्री आञ्जनेय स्वामी परदेव... ॥ श्रीः॥ ॥ श्री आञ्... हनुमन्नञ्जनीसूनो महाबलपरा... ॐ अस्य श्रीअनन्तघोरप्रलयज... नमो हनुमते तुभ्यं नमो मार... ॐ अस्य श्रीविचित्रवीरहनुम... बाल समय रबि भक्षि लियो तब... वीताखिलविषयेच्छं जातानन्द... । हनुमानुवाच । तिरश्चामपि... ॐ अस्य श्रीहनुमद्वाडवानलस... हनुमानंजनासूनुः वायुपुत्र... नमोऽस्तु ते हनूमते दयावते... श्रीमदाञ्जनेय भुजङ्गप्रयार स्तोत्रम् गोष्पदी-कृत-वारीशं मशकी-क... हनुमानुवाच । तिरश्चामपि य... लांगूलमृष्टवियदम्बुधिमध्य... स्फुरद्विद्युदुल्लासवाला... वामे करे वैरिभिदं वहन्तं ... अक्षादिराक्षसहरं दशकण्ठदर... शृणु देवि प्रवक्ष्यामि स्... प्रस्तावना मनोजवं मारुततुल्यवेगं जित... ॐ अस्य श्रीहनुमद्वडवानलस्... रक्ता ङ्गरागशोभढयं शोणपुच... ॐ श्रीपत्र्चवदनायात्र्जने... लोपामुद्रोवाच ॥ कुम्भोद... वीताखिल- विषयेच्छं जातानन... गोष्पदी- कृत- वारीशं मशकी... उद्यदातिय संकाशं उदार भुज... संकटमोचन हनुमानाष्टक - बाल समय रबि भक्षि लियो तब... हनुमान वायुपुत्र आहे, त्यामुळे त्याच्यात प्रचंड शक्ति आहे.Hanuman is son of a wind god Vayu. Hanuman is the Divine example of pure devotion and service Tags : hanumanmarutistotraमारुतीस्तोत्रहनुमान मत्तगयन्द छन्द Translation - भाषांतर बाल समय रबि भक्षि लियो तब तीनहुं लोक भयो अंधियारो ।ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो ।देवन आनि करी बिनती तब छां।डि दियो रबि कष्ट निवारो ।को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥१॥बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो ।चौंकि महा मुनि साप दियो तब चाहिय कौन बिचार बिचारो ।कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो ।को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥२॥अंगद के संग लेन गये सिय खोज कपीस यह बैन उचारो ।जीवत ना बचिहौ हम सो जु बिना सुधि लाए इहां पगु धारो ।हेरि थके तट सिंधु सबै तब लाय सिया सुधि प्रान उबारो ।को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥३॥रावन त्रास दई सिय को सब राक्षसि सों कहि सोक निवारो ।ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनीचर मारो ।चाहत सीय असोक सों आगि सु दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ।को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥४॥बान लग्यो उर लछिमन के तब प्रान तजे सुत रावन मारो ।लै गृह बैद्य सुषेन समेत तबै गिरि द्रोन सु बीर उपारो ।आनि सजीवन हाथ दई तब लछिमन के तुम प्रान उबारो ।को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥५॥रावन जुद्ध अजान कियो तब नाग कि फांस सबै सिर डारो ।श्रीरघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो ।आनि खगेस तबै हनुमान जु बंधन काटि सुत्रास निवारो ।को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥६॥बंधु समेत जबै अहिरावन लै रघुनाथ पताल सिधारो ।देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो ।जाय सहाय भयो तब ही अहिरावन सैन्य समेत संहारो ।को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥७॥काज किये ब।ड देवन के तुम बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।कौन सो संकट मोर गरीब को जो तुमसों नहिं जात है टारो ।बेगि हरो हनुमान महाप्रभु जो कछु संकट होय हमारो ।को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥८॥दोहालाल देह लाली लसे अरू धरि लाल लंगूर ।बज्र देह दानव दलन जय जय जय कपि सूर ॥सियावर रामचन्द्र पद गहि रहुं ।उमावर शम्भुनाथ पद गहि रहुं ।महावीर बजरंगी पद गहि रहुं ।शरणा गतो हरि ॥॥इति गोस्वामि तुलसीदास कृत संकटमोचन हनुमानाष्टक सम्पूर्ण ॥ N/A References : N/A Last Updated : November 11, 2016 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP