Dictionaries | References

मन बसप

   
Script: Devanagari

मन बसप

कोंकणी (Konkani) WordNet | Konkani  Konkani |   | 
   See : मोग जावप

Related Words

मन   बसप   मन मारप   मन मारना   मन मारणे   मन बसप   बेकार बसप   करमणे   मन राजा, मन प्रजा   धर्मसावर्णि मन   मन मनाविणें   मन गडबडणें   मन मुंडणें   मन घालणे   मन घालणें   मन जाणें   मन देणें   मन लावणें   मन बसणें   मन लागणें   शुद्ध मन   मन कांपणें   मन-काळीज   मन तुटणें   मन नपर्दो   मन विटणें   मन धरणें   मन लगना   मन उठणें   मन उडणें   मन मोडणें   मन भरना   ആലോചിക്കുക   ಇಷ್ಟವಾಗು   उठप-बसप   घोड्यावर बसप   गुड्डो बसप   मेळ बसप   रवाणेक बसप   धगाक बसप   हात बसप   आवैचे मन कांतली, भुर्ग्याचे मन करटी   उद्योगानें मन स्वच्छ राहते, आळसानें मन खातें   मन पळोन धन   मन राजा, मन परजा, मनाले कोण वरजा   संशयि मन सावळेक भित्ता   संशयी मन सावळेक भित्ता   अंदाधुंद मन हरा गाय   खालीवर मन होणें   मन दुग्ध्यांत पडणें   रिकामें मन सैतानाचं धन   रिकामें मन सैतानाचं सदन   मन मानेल तो सौदा   उठना-बैठना   उठबस   ಏಳು ಕೂರು   स्थानासनम्   नापसंद   कट्टींत फातर घालून बसप   माळ घेवन बसप   हातार हात धरून बसप   हट्ट धरून बसप   तुझें मन माझे साक्षीशी आणि माझें मन तुझे परीक्षेशी   देव मन पाळौन धन दिता   दिलो-दिमाग़   دِلو دٮ۪ماغ   ಮನಸ್ಸು-ಬುದ್ಧಿ   psyche   अंग उदकान नितळ, मन सतान   आंग उदकान नितळ, मन सतान   रिकामें मन आणि कुविचाराची धन   ज्‍याचें मन त्‍याला ग्‍वाही देतें   मन चिंती तें वैरी चिंतीना   विटलें मन आणि फुटलें मोतीं सांधत नाहीं   वैरी न चिंती तें मन चिंती   കുങ്ങുക   विरजणे   incubate   जामन डालना   कपटी मित्राचें मन, अधिक दुष्‍ट सर्पाहून   आपले मन जिंकी, तो धन्य म्हणावा लोकीं   मन नाहीं थिरी, उगीच तीर्थ करी   मन नाहीं स्थिरी, बहु तीर्थ करी   देवु जाला लागी, मन गेलें दूर   एक उत्रानें मोळ्ळोलें मन, धा उत्राने समजाइना   भोंवचें गेलो तीर्थांतु, मन उरलें घरांतु   भोवचा गेलो तीर्थांतु, मन उरलें घरांतु   पिसो मन मेकळता, बुदवंतु बांदुन दवरता   ज्‍याचें जया ध्यान, तेंच होय त्‍याचें मन   दुष्ट संगतीनें मन, दोषी न करिती सुजन   रायागेलें मन आनि रुक्का सावळी तत्तावळी परतता   उदार मन ठेव संपत्तिकाळीं, स्थीर असावें विपत्तिवेळीं   ठेवी मन स्‍वाधीन, राहे प्रगट डौलानं   मन नाहीं राजी, तो क्या करेगा काजी   मन चिंती तें वैरीही न चिंती   फुटले मोतीं तुटलें मन सांधत नाहीं   विटलेलें मन जुळत नाहीं आणि फुटलेलें मोतीं सांधत नाहीं   घर सान जाल्‍ले तरी मन होड आस का   hatch   சரிவர   
Folder  Page  Word/Phrase  Person

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP