-
بِرہ دَرَتھ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.959827 | Lang: NA
-
बृहद्रथः
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.810591 | Lang: NA
-
બૃહદ્રથ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.744494 | Lang: NA
-
বৃহদ্রথ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.224892 | Lang: NA
-
ବୃହଦ୍ରଥ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.224892 | Lang: NA
-
बृहद्रथ
Meanings: 36; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 1.060787 | Lang: NA
-
برٛہدرٛتھ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4899567 | Lang: NA
-
त्रयोदशोऽध्यायः - श्लोक १०१ ते ११३
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.007693877 | Lang: NA
-
ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १०१
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.006155101 | Lang: NA
-
प्रथमोऽध्यायः - श्लोक १ ते २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.006155101 | Lang: NA
-
विद्यानन्दः - श्लोक २१ ते ४०
'सार्थपंचदश्याम्' या ग्रंथात श्रीशंकराचार्यांनी मानवाच्या आयुष्यातील तत्वज्ञान सोप्या भाषेत विशद केले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.005385714 | Lang: NA
-
मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ५१
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
Type: PAGE | Rank: 0.004352313 | Lang: NA
-
हरिवंश पर्व - त्रिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.003846938 | Lang: NA
-
मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ५०
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
Type: PAGE | Rank: 0.003808274 | Lang: NA
-
उत्पत्तिप्रकरणं - सर्गः ४१
योगवासिष्ठःसर्गः ४२
Type: PAGE | Rank: 0.003077551 | Lang: NA
-
विष्णुपर्व - एकोनषष्टितमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.003077551 | Lang: NA
-
हरिवंश पर्व - द्वात्रिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.003077551 | Lang: NA
-
उत्तरार्धम् - अध्यायः ३७
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.002332082 | Lang: NA
-
मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ४८
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
Type: PAGE | Rank: 0.002308163 | Lang: NA
-
उत्तरार्धम् - अध्यायः ३८
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.001538775 | Lang: NA
-
मध्यम भागः - अध्यायः ७२
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.001538775 | Lang: NA
-
मध्यम भागः - अध्यायः ७४
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.001538775 | Lang: NA