-
পুণ্ড্র
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.7107748 | Lang: NA
-
पुण्ड्रः
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.7107748 | Lang: NA
-
پُنٛڈر
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.6222984 | Lang: NA
-
پُنڈر
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3111492 | Lang: NA
-
ਪੁੰਡ੍ਰ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3111492 | Lang: NA
-
ପୁଣ୍ଡ୍ର
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3111492 | Lang: NA
-
પુંડ્ર
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3111492 | Lang: NA
-
पुंड्र
Meanings: 11; in Dictionaries: 5
Type: WORD | Rank: 0.2694631 | Lang: NA
-
sugar cane
Meanings: 4; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.005287146 | Lang: NA
-
हरिवंश पर्व - एकत्रिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.001057429 | Lang: NA
-
त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ३१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.0009252505 | Lang: NA
-
सूत्रस्थानम् - षष्ठोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
Type: PAGE | Rank: 0.0007930718 | Lang: NA
-
राजनिघण्टु - पानीयादिवर्ग
नरहरि पन्डित रचित राजनिघण्टु ग्रंथ म्हणजे आयुर्वेदातील एक मैलाचा दगड.
Type: PAGE | Rank: 0.0007930718 | Lang: NA
-
मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ४८
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
Type: PAGE | Rank: 0.0007930718 | Lang: NA
-
राजनिघण्टु - करवीरादिवर्ग
नरहरि पन्डित रचित राजनिघण्टु ग्रंथ म्हणजे आयुर्वेदातील एक मैलाचा दगड.
Type: PAGE | Rank: 0.0006608932 | Lang: NA
-
ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १३
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0006608932 | Lang: NA
-
मध्यम भागः - अध्यायः ७२
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0005287146 | Lang: NA
-
उत्तरार्धम् - अध्यायः ३४
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0005287146 | Lang: NA
-
मध्यम भागः - अध्यायः ७४
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0005287146 | Lang: NA
-
सूत्रस्थान - अध्याय ०६
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0005287146 | Lang: NA
-
अनेकार्थसङ्ग्रहः - द्विस्वरकाण्डः
आचार्यश्रीहेमचन्द्रेण विरचितः अनेकार्थसङ्ग्रहो नाम कोशः
Type: PAGE | Rank: 0.0003965359 | Lang: NA