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आचार्यता
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ଶିକ୍ଷକତା
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وۄستٲدی
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गुरुआई
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આચાર્યતા
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गुरुपदम्
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गुरुपण
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আচার্যতা
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ওস্তাদি
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ଆଚାର୍ଯ୍ୟତ୍ବ
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ഗുരുധര്മ്മം
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آچاریٕتا
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آچاریہ گری
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आचार्यताय
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गुरुआवय
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গুরু
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आचार्यत्वम्
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आचार्य्यता
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आचार्यत्व
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आचार्य्यत्व
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संत तुकाराम - गुरु मागतसे धन । शिष्य बो...
संत तुकाराम गाथेत समाविष्ट न केलेले अप्रसिद्ध अभंग.
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गुरु - अभंग २६६१ ते २६६५
श्रीसंतएकनाथ महाराजांची गाथा म्हणजे श्रीराम व श्रीकृष्णाच्या अवताराचे मनोवेधक वर्णन.
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एकनाथी भागवत - श्लोक ४३ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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भारी
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बोधपर अभंग - ५१४१ ते ५१५०
तुकारामबाबा आणि त्यांचे शिष्य यांच्या अभंगांची गाथा.
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दांभिकास शिक्षा - ६०३१ ते ६०४०
तुकारामबाबा आणि त्यांचे शिष्य यांच्या अभंगांची गाथा.
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श्रीज्ञानेश्वरांची समाधी - अभंग ५१ ते ६०
श्रीसंतज्ञानेश्वरांनी जिवंत समाधी घेतलेली पाहून श्रीनामदेवांना भरून आले आणि त्यांनी श्रीसंतज्ञानेश्वरांच्या स्तुतीपर हे अभंग लिहीले.
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बृहत्संहिताः - अध्याय ६७
’बृहत्संहिता’ ग्रंथात वास्तुविद्या, भवन निर्माण कला, वायुमंडळाची रचना, वृक्ष आयुर्वेद इ. विषय अंतर्भूत आहेत.
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श्रीकेशवस्वामी - भाग २७
केशवस्वामींनी मनोभावेंकरून आपल्या कार्यातून हिंदू जनतेस त्यांच्या ठिकाणी आपला धर्म, आपला देश, आपली संस्कृती, आपली भाषा इत्यादिकांसंबंधी जागॄत केले.
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ग्रामगीता - अध्याय बत्तिसावा
जनसेवा हीच ईशसेवा मानणारे तुकडोजी महाराज हे समाजसुधारक संत होते.
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अमृतानुभव - शिवशक्तिसमावेशन
अमृतानुभव हा ज्ञानेश्वरांना ज्ञानेश्वरी लिहून झाल्यावर आलेला अनुभव आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ७ - अध्याय ५
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ८ - अध्याय १९
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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श्रीपूर्णानंद चरित्र - अध्याय नववा
आनंद संप्रदाय हा सर्व भक्तिमार्गी संप्रदायाचा मूळ स्रोत आहे .
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अमृतानुभव - प्रकरण दुसरे आतां उपायन...
अमृतानुभव हा संत ज्ञानेश्वरांचा स्व-रचित ग्रंथ असून त्यात त्यांनी उपदेशपर तत्वज्ञान सांगितले आहे.या ग्रंथाला चिद्विलासानंद असेही नाव आहे.
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उत्तर खंड - शीष्यप्रबोधो
सत्कार्योत्तेजक सभा धुळें, महाराष्ट्रधर्मग्रन्थमाला
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अध्याय तेरावा
श्री रामानंद स्वामी रचित दीप रत्नाकर.
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साईसच्चरित - अध्याय ५ वा
श्रीसाईसच्चरित या ग्रंथांत श्रीसाईबाबांच्या अद्भुत लीलांचा व उपदेशांचा संग्रह आहे.
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॥अवधान॥ ११२
एका रामदासीने "दासविश्रामधाम" नावाचे मोठे बाड चार भागात ओवी रुपात लिहिले. धुळ्याचे सज्जन ब्राम्हण व राजवाडे संस्था नि ब्राम्हण बँकांनी ते सन १९३० च्या दरम्यान छापून घेतले.
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साईसच्चरित - अध्याय ३ रा
श्रीसाईसच्चरित या ग्रंथांत श्रीसाईबाबांच्या अद्भुत लीलांचा व उपदेशांचा संग्रह आहे.
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तुकाराम गाथा - अभंग संग्रह ४४०१ ते ४५००
तुकाराम महाराजांचे अभंग म्हणजे रोजच्या जीवनातील विविध व्यवहारातील सुत्ररूपाने केलेले मार्गदर्शन आणि जीवनाचे महाभाष्य.
Tukaram was one of the greatest poet saints, whose Abhang says the greatest philosophy of routine life.
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