-
भोज
Meanings: 72; in Dictionaries: 11
Type: WORD | Rank: 1.322062 | Lang: NA
-
सिंहासन बत्तिसी - राजा भोज
रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है।
Type: PAGE | Rank: 0.4480993 | Lang: NA
-
राजा भोज
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.4167714 | Lang: NA
-
कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3936987 | Lang: NA
-
कुठे राजा भोज आणि कुठे गंगु तेली
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3936987 | Lang: NA
-
کُنتی بھوج
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.28837 | Lang: NA
-
भोज-भात
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.2362213 | Lang: NA
-
भोज राजा
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.2309106 | Lang: NA
-
भोज देना
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.2189615 | Lang: NA
-
जेवणावळ
Meanings: 4; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.1795837 | Lang: NA
-
ભોજ
Meanings: 5; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1790363 | Lang: NA
-
ਭੋਜ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1777788 | Lang: NA
-
ଭୋଜି
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1777788 | Lang: NA
-
പന്തിഭോജനം
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1777788 | Lang: NA
-
भज जानाय
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1777788 | Lang: NA
-
ಭೋಜನ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1777788 | Lang: NA
-
ভোজ
Meanings: 7; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.1573021 | Lang: NA
-
कुंतिभोज
Meanings: 4; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.1551318 | Lang: NA
-
banquet
Meanings: 8; in Dictionaries: 5
Type: WORD | Rank: 0.1532231 | Lang: NA
-
feast
Meanings: 11; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.1505677 | Lang: NA
-
सिंहासन बत्तिसी - रानी रूपवती
रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है।
Type: PAGE | Rank: 0.1321485 | Lang: NA
-
सिंहासन बत्तिसी - कीर्तिमती
रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है।
Type: PAGE | Rank: 0.1313544 | Lang: NA
-
सिंहासन बत्तिसी - लीलावती
रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है।
Type: PAGE | Rank: 0.1303587 | Lang: NA
-
విందు
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1269848 | Lang: NA
-
सम्भोजनम्
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1269848 | Lang: NA
-
अथायतननिवेशो नामैकपञ्चाशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
द्राविडप्रासादलक्षणं नाम द्विषष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते १००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
रुचकादिप्रासादलक्षणं नामैकोनपञ्चाशोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
पीठपञ्चकलक्षणं नामैकषष्टितमोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
द्राविडप्रासादलक्षणं नाम द्विषष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
ऋज्वागतादिस्थानलक्षणं नामैकोनाशीतितमोऽध्यायः - ५१ ते १००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
एकशालालक्षणफलादि नाम त्रयोविंशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
श्रीकूटादिषट्त्रिंशत्प्रासादलक्षणं नाम षष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते ९९
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
वास्तुसंस्थानमातृका नामाष्टात्रिंशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
जगतीलक्षणं नामैकोनसप्ततितमोऽध्यायः - १०१ ते १५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
पताकादिचतुष्षष्टिहस्तलक्षणं नाम त्र्यशीतितमोऽध्यायः - ५१ ते १००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
जघन्यवास्तुद्वारं नाम त्रिपञ्चाशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
प्रासादस्तवनं नाम अष्टपञ्चाशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
शयनासनलक्षणं नाम एकोनत्रिंशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
राजगृहं नाम त्रिंशोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
विमानादिचतुष्षष्टिप्रासादलक्षणं नामैकोनषष्टितमोऽध्यायः - १५१ ते २००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
मानोत्पत्तिर्नाम पञ्चसप्ततितमोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
दोषगुणनिरूपणं नामाष्टसप्ततितमोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
प्रासादद्वारमानादि नाम चतुष्पञ्चाशोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
वनप्रवेशो नाम षोडशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
इन्द्र ध्वजनिरूपणं नाम सप्तदशोऽध्यायः - १५१ ते २१२
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
रुचकादिप्रासादलक्षणं नामैकोनपञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
चतुःशालविधानं नामैकोनविंशोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
शिलान्यासविधिर्नाम पञ्चत्रिंशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA
-
कीलकसूत्रपातो नाम सप्तत्रिंशोऽध्यायः - १ ते ५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
Type: PAGE | Rank: 0.1246032 | Lang: NA