Dictionaries | References

व्यवहार ज्ञान हें मनुष्य जीविताचें मुख्य अंगा आहे

   
Script: Devanagari

व्यवहार ज्ञान हें मनुष्य जीविताचें मुख्य अंगा आहे

   मनुष्याला आयुष्यांत व्यवहारज्ञान अत्यंत अवश्य आहे.

Related Words

व्यवहार ज्ञान हें मनुष्य जीविताचें मुख्य अंगा आहे   ज्ञान   व्यवहार   आचार व्यवहार   मनुष्य   मुख्य नळी   मुख्य विषय   मुख्य दरवाजा   मनुष्य गण   मुख्य   मुख्य विषय असणे   व्यवहार गर्नु   व्यवहार करना   मुख्य द्वार   मुख्य नली   मुख्य रंग   व्यवहार कुशल   अन्न हें जीविताचा आधार आहे   अंगा   मुख्य न्यायाधीश   प्रत्यक्ष ज्ञान   मुख्य रङ   वेडा मनुष्य नग्न आहे कीं नेसला आहे हें दुसर्‍यानें पहावें   अनुभवाअंतीं ज्ञान   मुख्य कार्यकारी अधिकारी   आहे   आळशास त्रैलोक्याचे ज्ञान   मनुष्यगण   मुख्य विषय के रूप में पढ़ना   पारलौकिक ज्ञान   ആട്ടുതൊട്ടില്‍   मुख्य व्यवस्थापकीय संचालक   बात-व्यवहार   अक्रीताचा व्यवहार   म्हातारपण हें दुसरें बाळपण आहे   सांधींतला व्यवहार   अर्थ व्यवहार   बिनामी व्यवहार   निनामी व्यवहार   मेलेल्याला मारणें हा मूर्खपणा आहे   अलादियाशाही व्यवहार   मुख्य दरवाज़ा   मुख्य दार   मुख्य बिन्दु   मुख्य मार्ग   मुख्य रङ्ग   मुख्य बिंदु   अथांग पाणी हें नेहमीं भीतिदायक असतें   उपजल्या प्राण्यास मरण हें लागलेलेंच आहे   मुख्य ग्रंथी   मुख्य हवालदार   मुख्य अधिकारी   मुख्य परिचारिका   मुख्य अतिथि   तत्व ज्ञान   ब्रह्म ज्ञान   वागणूक   अलौकिक ज्ञान   लोकोत्तर ज्ञान   जन्मांतरचें ज्ञान   विकटोपर्यंत ज्ञान   प्रमुख ग्रंथी   ज्ञान प्रकाश   अर्धवट ज्ञान   विनयशीलता हें एक अहंकाराचें भाषांतर आहे   पोटचें ज्ञान   रोकड व्यवहार श्रीमंतीचा, उधार व्यवहार अधोगतीचा   प्रेम हें अंधळें आहे   कोणाची माय व्याली आहे   बांधली शिदोरी व सांगितलें ज्ञान पुरत नाहीं   संसार क्षणभंगुर आहे   ಮನುಷ್ಯ ಗಣ   मरण हक्क आहे   मुख्य पोलिस शिपाई   मुख्य प्रबंध निदेशक   मुख्य प्रबन्ध निदेशक   मुद्दा   chief executive officer   मुख्य विषय होना   अंगा बाहेर झिडकारणें   अंगा बाहेर झोंकणें   अंगा बाहेर टाकणें   अंगा बाहेर राखणें   अंगा बाहेर सोडणें   धात पडे, मनुष्य तडफडे   मनुष्याचे पोटीं, आहे गुह्याची पेटी   अन्न आच्छादन । हें तों प्रारब्धा अधीन ॥   शेकणें हें अर्धा वैद्य आहे   दृढविश्वास हें कार्यसिद्धीचें लक्षण आहे   प्रत्येकाचें ध्येय स्तुति हें आहे   मनुष्य जाऊ लाभ होऊ   सर्व माया मिथ्या बाजीगरी, काय तूं हे मानिली आहे खरी   साध्य साधनीं ज्ञान पूज्य   नरक आहे तेथें स्वर्ग नाहीं   अर्थव्यवहार   मानुषगणः   असतां कोणी ठक, न म्हणे मी आहे देख   हें चित्र पहा व तें चित्र पहा   कर्म सोण्णु मेळयिल्‍लें ज्ञान, रांदयि नातिल्‍या शिता जेवण   क्रियेवांचून ज्ञान पंगू   
Folder  Page  Word/Phrase  Person

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP