Dictionaries | References ख खोटे बोलण्याची आदत, जन्मभर नाहीं जात Script: Devanagari Meaning Related Words Rate this meaning Thank you! 👍 खोटे बोलण्याची आदत, जन्मभर नाहीं जात मराठी वाक्संप्रदाय - वाक्यप्रचार | Marathi Marathi | | मनुष्यास एकदां खोटे बोलण्याची संवय लागली म्हणजे ती जन्मभर सुटत नाही. Related Words खोटे बोलण्याची आदत, जन्मभर नाहीं जात जात आदत खोटे कुकुर जात चोरीचे लक्षण जन्मभर जात नाहीं संकर जात संकरीत जात लखेर जात लखेरा जात चंदेल जात कहार जात अंगावरचें लेणें जन्मभर देणें हत्तीचे दांत, नाहीं मागें जात आदत पालना आदत डालना खोटे ठरविणे खोटे बोलणे जित्याची खोड मेल्यावांचून जात नाहीं जन्मभर बोलण्याची सीमा होणें खोटे नारळ होळीमध्ये breed जितके मोठे, तितके खोटे जात बाटली परंतु हात बाटला नाहीं जात बाटली म्हणून रीत बाटली नाहीं जात कळते, पण मत कळत नाहीं पोटावर बांधल्यानें भूक जात नाहीं वळचणीचें पाणी आढयाला जात नाहीं लहेरी जात कंजर जात कडवी जात कोळी जात लंगा जात बोहरा जात भटकी जात हात बाटला तरी जात बाटत नाहीं कामाठी जात विणकर जात जाट जात चामार जात भट जात मीना जात निषाद जात अनुसुचीत जात खारवी जात किन्नर जात गौंड जात मल्ल जात सुतार जात दंत भग्न होत, इच्छा नाहीं जात आर्य जात खोटे नाणें व अकर्मी पोर, कुचकामचें caste गरीब खरे बोलती, सभेंत खोटे मानिती जोडीवांचून गाडा ओढला जात नाहीं पाणी पडत जात असणें जातीस जात मिळणें आलत धोय धोय जाय, आदत क्यौं कर जाय अठरा पगड जात जेवल्यावर म्हणे जात कोण अंधारांत खाल्लें म्हणून झुरळ तर नाहींना नाकांत जात शब्द भेद atomic number 53 भट जाति iodin iodine आदत पड़ना आदत लगना आदत होना अंधळ्याला माशी लागत नाहीं पाणी पीकर जात पुछते हैं कडू कारल्याची उपाधी गोडीनेंहि जात नाहीं कणकींत पडलेले पाणी काही वाया जात नाहीं मूर्त जाईल पण कीर्ति जात नाहीं मूर्ति जाईल पण कीर्ति जात नाहीं उघड्या डोळ्यांनी प्राण जात नाही एक नाहीं, दोन नाहीं अपमानापासून धिक्कार धिक्कारापासून नाहीं विसर दांत कोरल्यानें पोट भरत नाहीं नासलीं मिरीं जोंधळ्याला हार जात नाहीं जोंधळ्याबरोबर विकत नाहीं कामाठी नाहीं बायको, नाहीं घर, नाहीं स्वर्ग खोटा पाणी नाहीं, पाऊस नाहीं, शेतकर्याला जीव नाहीं पाऊस नाहीं, पाणी नाहीं, दुर्दशेला पारावर नाहीं गौंड आधीं पाणी पिणें, मग जात पुसरणें नाहीं करणें आमची जात चांगली, अशी काकांचीहि बोली हरा नाहीं आणि केशवा नाहीं हरा नाहीं आणि शिवा नाहीं गजाचे दांत आले ते माघारीं जात नाहीत कोणी हंसता नाहीं पोसता नाहीं सोनें मातींत पडल्यानें मृत्तिकारुप होत नाहीं वीसां नाहींतर तिसां, नाहीं तर जशाचा तसा आधीं भात खाऊन मग जात विचारावी भटः मांजराची जात सुंगटाच्या वासाक आदत के अनुसार Folder Page Word/Phrase Person Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP