Dictionaries | References द दंत भग्न होत, इच्छा नाहीं जात Script: Devanagari Meaning Related Words Rate this meaning Thank you! 👍 दंत भग्न होत, इच्छा नाहीं जात मराठी वाक्संप्रदाय - वाक्यप्रचार | Marathi Marathi | | दांत पडले तरी वासना सोडीत नाहींत. वृद्धपणींहि आशा सुटत नाहीं सवि ३७११. Related Words दंत भग्न होत, इच्छा नाहीं जात जात भग्न इच्छा इच्छा हुनु इच्छा होणे इच्छा होना कुकुर जात दंत संकर जात संकरीत जात लखेर जात लखेरा जात चंदेल जात कहार जात प्रसंगावांचून परीक्षा होत नाहीं फुकाचें गांवजेवण होत नाहीं भिकेची हंडी होत नाहीं उतरंडी भीक मागून श्राद्ध होत नाहीं हत्तीचे दांत, नाहीं मागें जात volition जात बाटली परंतु हात बाटला नाहीं जात बाटली म्हणून रीत बाटली नाहीं चुटक्यांचा मांडव होत नाहीं यत्नावीण कार्य प्राप्ति, होत नाहीं प्राणांतीं शष्पें धुतलीं म्हणून रेशीम होत नाहीं उदय झाल्यावीण, प्रगट होत नाहीं गुण दांडयानें पाणी तोडलें म्हणून निराळें होत नाहीं प्रयत्नेविणें कार्य होत नाहीं, जेवळ्यविणें पोट भरत नाहीं दंत चिकित्सक होत होत चोर-दंत दंत मल विष दंत दंत-मंजन सोनें मातींत पडल्यानें मृत्तिकारुप होत नाहीं दंत-चक्र एका घोवानें म्हातारी होत नाहीं इच्छा बुद्धीविन आंधळी एका लुगड्यानें म्हातारी होत नाहीं हात बाटला तरी जात बाटत नाहीं जानवें घातल्यानें ब्राह्मण होत नाहीं जित्याची खोड मेल्यावांचून जात नाहीं हिर्याची परीक्षा घणावांचून होत नाहीं घडीच्वा प्रहर होत नाहीं मुसळाचें धनुष्य होत नाहीं अधव्याचा जोडला आणि पिढीचा मोडला बरोबर होत नाहीं गोड शब्दाने होतें तें रागानें होत नाहीं breed हाड मोडल्यावांचून काम होत नाहीं दगडाचा दोर होत नाहीं आणि भलतीच आशा पुरी होत नाहीं मोजल्या रुपयांनी संसार होत नाहीं जात कळते, पण मत कळत नाहीं इच्छा रखना पोटावर बांधल्यानें भूक जात नाहीं इच्छा प्राप्ति वळचणीचें पाणी आढयाला जात नाहीं इच्छा करना इच्छा पूर्ति इच्छा मृत्यु इच्छा शक्ति अमित इच्छा न धराव्या, आपुले अंगीं जिरवाव्या लहेरी जात अंधारांत खाल्लें म्हणून झुरळ तर नाहींना नाकांत जात आपली इच्छा हुकमी धरी, ती ज्ञानवृद्धीपेक्षां बरी कंजर जात वेठीचें घोडें धरुन लढाई मारणें होत नाहीं कडवी जात कोळी जात लंगा जात बोहरा जात शेटें उपटून मढें हलकें होत नाहीं शष्पें खरवडून काढल्यानें मढें हलकें होत नाहीं शष्पें भादरल्यानें काढल्यानें मढें हलकें होत नाहीं सुइणीच्या जिवावर कोणी गरवार होत नाहीं बिगारीच्या कुत्र्यांनीं शिकार मारणें होत नाहीं भटकी जात बापानें मुलाला मारिलें तर वेगळा होत नाहीं कामाठी जात विणकर जात जाट जात चामार जात भट जात मीना जात निषाद जात वारुळ वाढलें म्हणून कांहीं पर्वताएवढें होत नाहीं घोणीचा एक पाय मोडला तर ती लंगडी होत नाहीं अनुसुचीत जात खारवी जात किन्नर जात गौंड जात मल्ल जात सुतार जात आर्य जात किटण धरतो दुष्टाची संगत, त्याचें कल्याण नाही होत इच्छामृत्यू दगडाचा दोर होत नाहीं गजाचे दांत आले ते माघारीं जात नाहीत दांत कोरल्यानें पोट भरत नाहीं Folder Page Word/Phrase Person Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP