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कां ग बाई धांवती, काल निघाली सवती

   
Script: Devanagari

कां ग बाई धांवती, काल निघाली सवती

   कांग बाई दुबळी, तर म्‍हणजे निघाले वेगळी प्रमाणेच
   एखाद्या बाईस तुझी धांवाधांव का असे विचारतां ती सांगते की, कालच वेगळी निघाले आहे म्‍हणून. याप्रमाणें वेगळे निघाल्‍यावर स्‍वतःच सर्व कामें करावी लागतात, घरात कोणाची मदत मिळत नाही, तेव्हां धांदल होते.

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