Dictionaries | References

अर्द हांव जाण, अर्द शेजारचो रवळु जाण

   
Script: Devanagari

अर्द हांव जाण, अर्द शेजारचो रवळु जाण

   अर्धै ( निम्में ) मला माहीत आहे, अर्धे शेजारच्या खळूला माहीत आहे. पुरें ज्ञान नसणें.

Related Words

अर्द हांव जाण, अर्द शेजारचो रवळु जाण   अर्द   जाण   अर्द न्हिदिल्लें   अर्द शेर   अर्द आड पडिल्लो   कर्तव्याची जाण नाशिल्लें   प्रपंची जो सावधान, तोच परमार्थ करील जाण   अर्द कोटी   अर्द पूल   अर्द-व्यास   अर्द शतक   अर्द सेतू   अल्प धन थोर मन, नाश न होय स्वहित जाण   जाण जावप   grasp   तुगेल्‍या तार्वारि मगेलें अर्द फोपळ   उल्लाचाक कळ्ळेलो उत्रांमोल जाण   खटपटीवीण प्रतिष्‍ठा जाण   मनीं जाण होणें   सुवेळीं दाम, दुप्पट जाण   अर्ध   اوٚڈ سیر   அரை சேர்   ਅਧਸੇਰਾ   আধসেরের বাটখারা   ଅଧସେର   અચ્છેરો   അരനാഴി   ادھ سیرا   अधसेरा   आर्जवी मंडळीहून, आत्मप्रीति अधिक जाण   अंतःकरणीं उपकारस्मरण हीच कृतज्ञता जाण   असतां लहान, थोरा अडवी जाण   मूर्खाचें अंतःकरण, उथळ असतें जाण   धा जाण आवयक कोण रडनार   பாதியான   ಅರ್ಧಭಾಗದ   ಅರ್ಧ ಶತಕ   અર્ધી સદી   અર્ધું   ਅੱਧੀ   অর্ধশতক   ଅର୍ଦ୍ଧଶତକ   ਅਰਧ ਸ਼ਤਕ   نیٚصف   ہاف سٮَنٛچٔری   अर्धशतक   अर्ध शतक   अर्धशतकम्   अर्धा   لرِ بِہتھ لر ترٛٲوِتھ   काय केल्‍यार काय आस, न्याय केल्‍यार अर्द आस   अंधळ्या कारण दीपाचें न पडे जाण   अनुभव नसतांची जाण व्यर्थ पुस्तकी ज्ञान   असतां वय लहान, बोल मोठे जाण   अभिमान आणि अज्ञान, तरुणपणीं नासाडी जाण   हंसालागीं जें मिष्टान्न । तें न हंसीलागी जाण ॥   हांव   अप्रतिपन्न   ஒருக்களித்து படுத்த   సగంపడుకున్న   અર્ધસૂતું   ਅਧਲੇਟਿਆ   অর্ধশায়িত   ଅଧାଶୁଆ   ചുവട്ടിൽ കിടന്ന   अधलेटा   আধা   आधा   ಸ್ವಲ್ಪ ವರಗಿದ   கடமை உணர்வற்ற   పనిచేతకాని   અપ્રતિપન્ન   কর্তব্যজ্ঞানহীন   ਕਰਤੱਬਹੀਣ   ଅପ୍ରତିପନ୍ନ   കർത്തവ്യബോധമില്ലാത്ത   ಹೊಣೆಗಾರಿಕೆಯಿಲ್ಲದ   खामानिनि गियान गैयि   कर्तव्य ठाऊक नसलेला   غیرفرض شناس   आळस तो रोग जाण, तेणें जीवित्व होय क्षीण   अनुभव मूर्खा शिकवी ज्ञान न शिके तो शतमूर्ख जाण   येकांतीं लोकांतीं। स्त्रियांसीं भाषण। प्राण गेल्या जाण। करुं नये॥   नव जाण मोच्यांनी उदक पिले, एकलो कसा आनवाळो उरतलो?   సగం   उन्दुग्लांनाय   radius   get the picture   grok   savvy   comprehend   अति गरीब आणि अति द्रव्यवान यांस बुद्धि देतां न घेत जाण   जो जो जयाचा घेतला गुण, तो तो म्‍यां गुरु केला जाण   ठेवी पोट साफ, पाय उष्‍ण, नेहमी गार मस्‍तक जाण, मग वैद्याची गरज सोड, हित तेंच समज   ଅଧା   खावसे   aesthesis   sense datum   
Folder  Page  Word/Phrase  Person

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP