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रेणुका f. af. See below रेणुका f. bf. a partic. drug or medicinal substance (said to be fragrant, but bitter and slightly pungent in taste, and of greyish colour; cf. रेणु), [L.] रेणु-कारिका N. of a कारिका (composed by हरि-हर; cf. ), [Cat.]
of the wife of जमद्-अग्नि and mother of परशु-राम (she was the daughter of रेणु and of king प्रसेन-जित्), [MBh.]; [Hariv.]; [Pur.] of a river, [VP.]
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रेणुका [rēṇukā] 1 The wife of Jamadagni and mother of Paraśurāma; see जमदग्नि. A kind of medicinal substance. -Comp. -तनयः, -सुतः an epithet of Paraśurāma.
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स्त्री. विना . जमदग्नीची पत्नी व परशुरामाची आई .
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रेणुका n. इक्ष्वाकुवंशीय रेणु (प्रसेनजित्) राजा की कन्या, जो जमदग्नि महर्षि की पत्नी थी [भा. ९.१५.२];[ ह. वं. १.२७.३८];[ म. व. ११६.२] । कई अन्य ग्रंथों में इसे अनावसु की, एवं विकल्य में सुवेणु की कन्या कहा गया है [रेणु. ५] । कालिका पुराण में इसे विदर्भ राजा की कन्या कहा गया है [कालि. ८६] । इसे कामली नामान्तर भी प्राप्त था । रेणुका n. महाभारत के अनुसार, इसकी उत्पत्ति कमल में हुई थी, एवं इसके पिता एवं भ्राता का नाम क्रमशः सोंप एवं रेणु था [म. अनु. ५३.२७] । सोंप राजा के द्वारा इसका पालन होने कारण, संभवत: उसे इसका पिता कहा होगा । रेणुकापुराण के अनुसार, रेणु राजा ने कन्याकामेष्टियज्ञ किया । उस यज्ञकुण्ड से इसकी उत्पत्ति हुई [रेणु. ३] । अपने पूर्वजन्म में यह अदिति थी । इसका स्वयंवर भागीरथी क्षेत्र में हुआ, जिस समय इसने स्वयंवर के समय इंद्र ने इसे कामधेनु, कल्यतक, चिंतामणि एवं पारत्स आदि विभिन्न मौल्यवान चीजे भेंट में दे दी [रेणु. १३] । एक बार जमदग्नि ऋषि बाणक्षेपण का खेल खेल रहे थे, जिस समय बाण वापस लाने का काम इस पर सौंपा, गया था । एकबार बाण लाने में इसे कुछ देरी हो गयी जिस कारण क्रुद्ध हो कर जमदग्नि ने अपने पुत्र परशुराम से इसका शिरच्छेद करने के लिए कहा [म. अन्. ९५. ७-१७] । अपने पिता की आज्ञानुसार, परशुराम ने इसका वध किया, एवं पश्चात जमदग्नि से अनुरोध कर इसे पुनर्जीवित कराया [म. व. ११६.५-१८] । रेणुका n. इसे निम्नलिखित पाँच पुत्र थे:--- रुमण्वत्, सुषेण, वसु, विश्वावसु एवं परशुराम [म. व. ११६. १०-११] । रेणुकापुराण में ’ रुमण्वत्’ एवं ‘सुषेण’ के बदले पुत्रों के नाम ‘बृहत्मानु’ एवं ‘बृहत्कर्मन्’ दिये गयें हैं (रेणू. १३) । कलिका पुराण में ‘रुपण्वत्’ के बदले ‘मरुत्वत्’ नाम प्राप्त है [कालि, ८६] ।
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REṆUKĀ I The wife of the hermit Jamadagni. (For further details see under the word Jamadagni). REṆUKĀ II A holy place frequented by Sages. It is mentioned in [Mahābhārata, Vana Parva, Chapter 82]. Stanza 82 that those who bathe in this holy bath would become as pure as Candra (Moon). It is stated in [Mahābhārata, Vana Parva, Chapter 82], that this holy place lies within the boundary of Kurukṣetra.
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