हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|भजनामृत|निवेदन|

निवेदन - दीनन दुख हरण देव संतन...

’निवेदन’ मे प्रस्तुत जो भी भजन है, वे सभी विनम्र भावोंके चयन है ।


दीनन दुख हरण देव संतन सुखकारी ॥टेक॥

अजामील गीध व्याध इनमें कहो कौन साध ।

पंछी हूँ पद पढ़ात गणिका सी तारी ॥१॥

ध्रुव के सिर छत्र देत प्रह्लाद को उबार लेत ।

भगत हेतु बांध्यो सेतु लंकपुरी जारी ॥२॥

तंडुल देत रीझ जात सागपात सों अघात ।

गिनत नहीं जूठे फल खाटे मीठे खारी ॥३॥

गज को जब ग्राह ग्रस्यो दुस्सासन चीर खस्यो ।

सभाबीच कृष्ण कृष्ण द्रौपदी पुकारी ॥४॥

इतने में हरि आय गए बसनन आरुढ़ भये ।

सूरदास द्वारे ठाढ़ो आन्धरो भिखारी ॥५॥

N/A

References : N/A
Last Updated : January 22, 2014

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP