हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|भजनामृत|निवेदन|

निवेदन - नाथ मैं थारोजी थारो !...

’निवेदन’ मे प्रस्तुत जो भी भजन है, वे सभी विनम्र भावोंके चयन है ।


नाथ मैं थारोजी थारो !

चोखो, बुरो, कुटिल अरु कामी जो कुछ हूँ सो थारो ॥१॥

बिगड़यो हूँ तो थारो बिगड़यो, थे ही मनै सुधारो ।

सुधर् यो तो प्रभु सुधर् यो थारो, थाँ सूँ कदे न न्यारो ॥२॥

बुरो, बुरो मैं भोत बुरो हूँ, आखर टाबर थारो ।

बुरो कुहाकर मैं रह जास्यूँ, नाँव बिगड़सी थारो ॥३॥

थारो हूँ, थारो ही बाजूँ, रहस्यूँ थारो थारो !!।

आँगलियाँ नुहँ परै न होवै, या तो आप बिचारो ॥४॥

मेरी बात जाय तो जाओ, सोच नहीं कछु म्हारो ।

मेरे बड़ो सोच यो लाग्यो, बिरद लाजसी थारो ॥५॥

जचै जिसतराँ करो नाथ ! अब, मारो, चाहे त्यारो ।

जाँघ उघाड़याँ लाज मरोगा, ऊँडी बात बिचारो ॥६॥

N/A

References : N/A
Last Updated : January 22, 2014

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP