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निवेदन - कृष्ण मुरारी शरण तुम्ह...

’निवेदन’ मे प्रस्तुत जो भी भजन है, वे सभी विनम्र भावोंके चयन है ।


कृष्ण मुरारी शरण तुम्हारी, पार करो नैया म्हारी ।

जन्म अनेक भये जग माहीं, कबहुँ न भगति करी थारी ॥१॥

लख चौरासी भरमत-भरमत, हार गई हिम्मत सारी ।

अब उध्दार करो भव-भंजन, दीननके तुम हितकारी ॥२॥

मैं मतिमन्द कछू नहिं जागत, पाप अनन्त किये भारी ।

जो मेरा अपराध गिनो तो, नाथ मिले पारावारी ॥३॥

तारे भगत अनेक आपने, शेष शारदा कथ हारी ।

बिना भक्ति तारो तो तारो, अबकी बेर आई म्हारी ॥४॥

खान -पान विषयादिक भोगन, लपट रही दुनियाँ सारी ।

’नारायण’ गोविन्द भजन बिन, मुफ्त जाय उमरा सारी ॥५॥

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Last Updated : January 22, 2014

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