हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|भजनामृत|निवेदन|

निवेदन - दीन दयाल शरण मैं तेरी...

’निवेदन’ मे प्रस्तुत जो भी भजन है, वे सभी विनम्र भावोंके चयन है ।


दीन दयाल शरण मैं तेरी तुम बिन नाथ कौन गति मेरी ।

जनम मरण में भटकत भूल्यो, कबहूँ न सुरति करी प्रभु तेरी ।

अबकी बेर मेरा संकट काटो, मेटो जनम-मरण की फेरी ॥१॥

हूँ गुणहीन कछु नहीं लायक, फिर भी मन अभिमान भर् योरी ।

अपनो जानि दया करो दाता, होऊँ मैं चरण-शरण प्रभु तेरी ॥२॥

चाह नहीं है भोग्य भोग की, चाह नहीं प्रभु स्वर्ग लोक की ।

चाह भरी है तुम दर्शन भर दो नाथ दयासे झोरी ॥३॥

आश तुम्हारे चरण कमल की, लेकर आयो मैं द्वार तुम्हारे ।

टुक-टुक निरखूँगा द्वार तुम्हारा, चाहे करो प्रभु कितनी देरी ॥४॥

लिया सहारा एक तुम्हारा, तुम हो दीन के हितकारी ।

कर किरपा उस राह पे डारो, निशदिन तेरी लगाऊँ मैं फेरी ॥५॥

N/A

References : N/A
Last Updated : January 22, 2014

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP