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निवेदन - स्याम ! मने चाकर राखो ...

’निवेदन’ मे प्रस्तुत जो भी भजन है, वे सभी विनम्र भावोंके चयन है ।


स्याम ! मने चाकर राखो जी ।

गिरधारीलाल ! चाकर राखो जी ॥

चाकर रहसूँ बाग लगासूँ नित उठ दरसण पासूँ ।

बिंद्राबनकी कुंजगलिनमें तेरी लीला गासूँ ॥

चाकरीमें दरसण पाऊँ सुमिरण पाऊँ खरची ।

भाव भगति जागीरी पाऊँ, तीनूँ बाता सरसी ॥

मोर मुकुट पीतांबर सोहै, गल बैजंती माळा ।

बिंद्राबनमें धेनु चरावें, मोहन मुरलीवाळा ॥

हरे हरे नित बाग लगाऊँ, बिच बिच राखूँ क्यारी ।

साँवरियाके दरसण पाऊँ, पहर कुसुम्मी सारी ॥

जोगी आया जोग करणकूँ, तप करणे संन्यासी ।

हरी भजनकूँ साधु आया बिंद्राबनके बासी ॥

मीराके प्रभु गहिर गँभीरा सदा रहो जी धीरा ।

आधी रात प्रभु दरसन दीन्हें, प्रेमनदीके तीरा ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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