तुलसीदास कृत दोहावली - भाग १८

रामभक्त श्रीतुलसीदास सन्त कवि आणि समाज सुधारक होते. तुलसीदास भारतातील भक्ति काव्य परंपरेतील एक महानतम कवि होत.


नीच पुरुषकी नीचता

प्रभु सनमुख भएँ नीच नर होत निपट बिकराल ।
रबिरुख लखि दरपन फटिक उगिलत ज्वालाजाल ॥

सज्जनकी सज्जनता

प्रभु समीप गत सुजन जन होत सुखद सुबिचार ।
लवन जलधि जीवन जलद बरषत सुधा सुबारि ॥
नीच निरावहिं निरस तरु तुलसी सींचहिं ऊख ।
पोषत पयद समान सब बिष पियूष के रूख ॥
बरषि बिस्व हरषित करत हरत ताप अघ प्यास ।
तुलसी दोष न जलद को जो जल जरै जवास ॥
अमर दानि जाचक मरहिं मरि मरि फिरि फिरि लेहिं ।
तुलसी जाचक पातकी दातहि दूषन देहिं ॥

नीचनिन्दा

लखि गयंद लै चलत भजि स्वान सुखानो हाड़ ।
गज गुन मोल अहार बल महिमा जान कि राड़ ॥

सज्जनमहिमा

कै निदरहुँ कै आदरहुँ सिंघहि स्वान सिआर ।
हरष बिषाद न केसरिहि कुंजर गंजनिहार ॥

दुर्जनोका स्वभाव

ठाढ़ो द्वार न दै सकैं तुलसी जे नर नीच ।
निंदहि बलिल हरिचंद को का कियो करन दधीच ॥

नीचकी निन्दासे उत्तम पुरुषोंका कुछ नहीं घटता

ईस सीस बिलसत बिमल तुलसी तरल तरंग ।
स्वान सरावग के कहें लघुता लहै न गंग ॥
तुलसी देवल देव को लागे लाख करोरि ।
काक अभागें हगि भर्यो महिमा भई कि थोरि ॥

गुणोंका ही मूल्य है,दूसरोंके आदर-अनादरका नहीं

निज गुन घटत न नाग नग परखि परिहरत कोल ।
तुलसी प्रभु भूषन किए गुंजा बढ़े न मोल ॥

श्रेष्ठ पुरुषोंकी महिमाको कोई नहीं पा सकता

राकापति षोड़स उअहिं तारा गन समुदाइ ।
सकल गिरिन्ह दव लाइअ बिनु रबि राति न जाइ ॥

दुष्ट पुरुषोंद्वारा की हुई निन्दा-स्तुतिका कोई मूल्य नहीं है

भलो कहहिं बिनु जानेहूँ बिनु जानें अपबाद ।
ते नर गादुर जानि जियँ करिय न हरष बिषाद ॥

डाह करनेवालोंका कभी कल्याण नहीं होता

पर सुख संपति देखि सुनि जरहिं जे जड़ बिनु आगि ।
तुलसी तिन के भागते चलै भलाई भागि ॥

दूसरोंकी निन्दा करनेवालोंका मुहँ काला होता है

तुलसी जे कीरति चहहिं पर की कीरति खोइ ।
तिनके मुहँ मसि लागिहैं मिटहि न मरिहै धोइ ॥

मिथ्या अभिमानका दुष्परिणाम

तन गुन धन महिमा धरम तेहि बिनु जेहि अभिमान ।
तुलसी जिअत बिडंबना परिनामहु गत जान ॥

नीचा बनकर रहना ही श्रेष्ठ है

सासु ससुर गुरु मातु पितु प्रभु भयो चहै सब कोइ ।
होनी दूजी ओर को सुजन सराहिअ सोइ ॥

सज्जन स्वाभाविक ही पूजनीय होते है

सठ सहि साँसति पति लहत सुजन कलेस न कायँ ।
गढ़ि गुढ़ि पाहन पूजिऐ गंडकि सिला सुभायँ ॥

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Last Updated : January 18, 2013

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