तुलसीदास कृत दोहावली - भाग १०

रामभक्त श्रीतुलसीदास सन्त कवि आणि समाज सुधारक होते. तुलसीदास भारतातील भक्ति काव्य परंपरेतील एक महानतम कवि होत.


रामचरित्रकी पवित्रता

तुलसी केवल कामतरु रामचरित आराम ।
कलितरु कपि निसिचर कहत हमहिं किए बिधि बाम ॥

कैकेयीकी कुटिलता

मातु सकल सानुज भरत गुरु पुर लोग सुभाउ ।
देखत देख न कैकइहि लंकापति कपिराउ ॥
सहज सरल रघुबर बचन कुमति कुटिल करि जान ।
चलइ जोंक जल बक्रगति जद्यपि सलिलु समान ॥

दशरथमहिमा

दसरथ नाम सुकामतरु फलइ सकलो कल्यान ।
धरनि धाम धन धरम सुत सदगुन रूप निधान ॥
तुलसी जान्यो दसरथहिं धरमु न सत्य समान ।
रामु तजे जेहि लागि बिनु राम परिहरे प्रान ॥
राम बिरहँ दसरथ मरन मुनि मन अगम सुमीचु ।
तुलसी मंगल मरन तरु सुचि सनेह जल सींचु ॥

सोरठा

जीवन मरन सुनाम जैसें दसरथ राय को ।
जियत खिलाए राम राम बिरहँ तनु परिहरेउ ॥

जटायुका भाग्य

दोहा

प्रभुहि बिलोकत गोद गत सिय हित घायल नीचु ।
तुलसी पाई गीधपति मुकुति मनोहर मीचु ॥
बिरत करम रत भगत मुनि सिद्ध ऊँच अरु नीचु ।
तुलसी सकल सिहात सुनि गीधराज की मीचु ॥
मुए मरत मरिहैं सकल घरी पहरके बीचु ।
लही न काहूँ आजु लौं गीधराज की मीचु ॥
मुँए मुकुत जीवत मुकुत मुकुत मुकुत हूँ बीचु ।
तुलसी सबही तें अधिक गीधराज की मीचु ॥
रघुबर बिकल बिहंग लखि सो बिलोकि दोउ बीर ।
सिय सुधि कहि सियल राम कहि देह तजी मति धीर ॥
दसरथ तें दसगुन भगति सहित तासु करि काजु ।
सोचत बंधु समेत प्रभु कृपासिंधु रघुराजु ॥

रामकृपाकी महत्ता

केवट निसिचर बिहग मृग किए साधु सनमानि ।
तुलसी रघुबर की कृपा सकल सुमंगल खानि ॥

हनुमत्स्मरणकी महत्ता

मंजुल मंगल मोदमय मूरति मारुत पूत ।
सकल सिद्धि कर कमल तल सुमिरत रघुबर दूत ॥
धीर बीर रघुबीर प्रिय सुमिरि समीर कुमारु ।
अगम सुगम सब काज करु करतल सिद्धि बिचारु ॥
सुख मुद मंगल कुमुद बिधु सुगुन सरोरुह भानु ।
करहु काज सब सिद्धि सुभ आनि हिएँ हनुमानु ॥
सकल काज सुभ समउ भल सगुन सुमंगल जानु ।
कीरति बिजय बिभूति भलि हियँ हनुमानहि आनु ॥
सूर सिरोमनि साहसी सुमति समीर कुमार ।
सुमिरत सब सुख संपदा मुद मंगल दातार ॥

बाहुपीड़ाकी शान्तिके लिये प्रार्थना

तुलसी तनु सर सुख जलज भुज रुज गज बरजोर ।
दलत दयानिधि देखिऐ कपि केसरी किसोर ॥
भुज तरु कोटर रोग अहि बरबस कियो प्रबेस ।
बिहगराज बाहन तुरत काढ़िअ मिटै कलेस ॥
बाहु बिटप सुख बिहँग थलु लगी कुपीर कुआगि ।
राम कृपा जल सीचिऐ बेगि दीन हित लागि ॥

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Last Updated : January 18, 2013

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