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अध्याय ३ - उच्चस्थग्रहफल

मानसागरी - अध्याय ३ - उच्चस्थग्रहफल

सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.

The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.


जिसके बृहस्पति उच्चराशि ( ४ ) में स्थित हो वह इच्छानुकूल आचारवाला शोभाकरके युक्त, सुन्दर वदनवाला, राज्यमण्डलका स्वामी, प्रसन्नचित्त, बहुत नौकरोंसे युक्त और राजाओंका मन्त्री होता है । जिसके शुक्र उच्चराशि ( १२ ) का पडा होवे वह देवज्ञानमें प्रवीण, यन्त्र तन्त्र करनेवाला, गायक ( गानेवाला ), कवियोंका स्वामी और स्त्रीविलासवाला होता है । जिसके शनैश्चर उच्चराशि ( ७ ) का स्थित होवे वह सुन्दर पुष्पमाला और धनुष्यके द्वारा जीविका चलानेवाला, प्रसिद्ध, सम्पूर्ण वाहनोंका स्वामी, साहस मैत्रीवाला, धैर्य और मायावी होता है । जिसके राहु उच्चराशिका होवे वह कूर, दुष्ट, बलवान्, साइसमें रत, सम्मति देनेमें चतुर और राज्यलक्ष्मी, मणि इन करके शोभित होता है । जिसके उच्चराशिका केतु पडा होवे वह स्थविर और नीच आचरवाला, झूठ बोलनेवाला, भ्रमणशील, पराया काम करनेवाला होता है ॥५-९॥ इत्युच्चग्रहस्थफलम् ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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