लीला गान - मोहन मोहन जील निस दिन...

’लीलागान’में भगवल्लीकी मनोमोहिनी मनको लुभाती है ।


मोहन मोहन जील निस दिन मैं रटूँ जी ।

कोई मोहन जीवन प्राण दरस दिवानी जी ।

साँवरिया प्यारा आपकी जी ॥१॥

साँवरी सूरत परजीक बारीगोपियाँ जी ।

कोई मोहलई ब्रजनार सार विसारीजीक ।

सुधबुध जगत की जी ॥२॥

मुख पर मुरलीजीक बाजे मोहनजीक ।

कोई गल वैजयन्ती माल मुकुट पिताम्बरजीक ।

कटिमैं काछनीजी ॥३॥

बैनु बजावोजीक कान्हा सोहनीजी ।

और दिखावो नाच गान सुनावो जी ।

माखनजद मिलेजी ॥४॥

धेनु चरावतरेक बाबा नन्दजीकी ।

कोई माँगत दधिको दान रीत चलावो रे ।

कान्हा तूँ नई जी ॥५॥

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Last Updated : January 22, 2014

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