लीला गान - होरी खेलन आयो श्याम , ...

’लीलागान’में भगवल्लीकी मनोमोहिनी मनको लुभाती है ।


होरी खेलन आयो श्याम, आज याहि रंगमें बोरो री ।

रँगमें बोरो री कन्हैयाको, रंगमें बोरो री ॥१॥

कोरे-कोरे कलश मँगाओ, यामे केशर घोरो री ।

मुख ते केशर मलो, करो कारे ते गोरो री ॥२॥

लोक लाज-मरजाद सबै, फागनमें तोरो री ! ।

हाथ जोड़ जब करे विनती, तब याहे छोरो री ॥३॥

हरे बाँसकी बाँसुरिया, याहे तोर मरोरो री ।

चन्द्रसखी यों कहे आज बन बैठ्यो भोरो री ॥४॥

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Last Updated : January 22, 2014

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