चैत्र कृष्णपक्ष व्रत - गौरीव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


गौरीव्रत ( व्रतविज्ञान ) -

यह चैत्र कृष्ण प्रतिपदासे चैत्र शुक्ल द्वितीयातक किया जाता है । इसको विवाहिता और कुमारी दोनों प्रकारकी स्त्रियाँ करती हैं ॥ इसके लिये होलीकी भस्म और काली मिट्टी - इनके मिश्रणसे गौरीकी मूर्ति बनायी जाती है और प्रतिदिन प्रातःकालके समय समीपके पुष्पोद्यानसे फल, पुष्प, दूर्वा और जलपूर्ण कलश लावर उसको गीत - मन्तोंसे पूजती हैं । यह व्रत विशेषकर अहिवातकी रक्षा और पतिप्रेमकी वृद्धिके निमित्त किया जाता है ।

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Last Updated : January 16, 2009

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