हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|दरिया साहब (मारवाड़वाले)|
साधो , अलख निरंजन सोई । ...

भजन - साधो , अलख निरंजन सोई । ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


साधो, अलख निरंजन सोई ।

गुरु परताप राम-रस निर्मल, और न दूजा कोई ॥

सकल ज्ञानपर ज्ञान दयानिधि, सकल जोतिपर जोती ।

जाके ध्यान सहज अघ नासै, सहज मिटै जम छोती ॥

जाकी कथाके सरवनतें ही, सरवन जागत होई ।

ब्रह्मा-बिस्नु-महेस अरु दुर्गा, पार न पावै कोई ॥

सुमिर-सुमिर जन होइहैं राना, अति झीना-से-झीना ।

अजर, अमर, अच्छय, अबिनासी, महा बीन परबीना ॥

अनंत संत जाके आस-पिआसा, अगन मगन चिर जीवैं ।

जन 'दरिया' दासनके दासा, महाकृपा-रस पीवैं ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 25, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP