हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|दरिया साहब (मारवाड़वाले)|
साहब मेरे राम हैं , मैं उ...

भजन - साहब मेरे राम हैं , मैं उ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


साहब मेरे राम हैं, मैं उनकी दासी;

जो बान्या सो बन रह्या, आज्ञा अबिनासी ।

अरध उरध षट कँवल बिच, करतार छिपाया;

सतगुरु मिल किरपा करी, कोइ बिरले पाया ।

तीन लोक, चौदह भुवन, केवल वह भरपूरा;

हाजिराँसे हाजिर सदा, वह दूराँसे दूरा ।

पाप-पुन्य दोउ रूप हैं, उनहींकी माया;

साधनके बरतन सदा, भरमै भरमाया ।

जन 'दरिया' इक राम भज, भजबेकी बारा;

जिन यह भार उठाइया, उनके सिर भारा ।

N/A

References : N/A
Last Updated : December 25, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP