हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|मंजुकेशीजी| भजन - मानहु प्यारे , मोर सिखावन... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajanmanjukeshijiभजनमंजुकेशीजी भजन Translation - भाषांतर मानहु प्यारे, मोर सिखावन । बूँदैबूँद तलाब भरत है का भादों का सावन ॥ तैसहि नाद-बिंदुको धारण अन्तःसुख सरसावन । ध्वनि गूँजै जब जुगल रंध्रसे परसे त्रिकुटी पावन ॥ हियकी तीब्र भावना थिर करु पड़ै दुधमें जावन । 'केशी' सुरति न टूटन पावै दिब्य छटा दरसावन ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 23, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP