हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|दासबोध हिन्दी अनुवाद|स्वगुणपरीक्षा| समास सातवां आधिभौतिकताप निरूपणनाम स्वगुणपरीक्षा समास पहला जन्मदुःखनिरूपणनाम समास दूसरा सगुणपरीक्षानाम समास तीसरा सगुणपरीक्षानाम समास चौथा सगुणपरीक्षानाम समास पांचवा सगुणपरीक्षानिरुपणनाम समास छठवां आध्यात्मिकताप निरूपणनाम समास सातवां आधिभौतिकताप निरूपणनाम समास आठवा आधिदैविकतापनाम समास नववा मृत्युनिरुपणनाम समास दसवां बैराग्यनिरूपणनाम समास सातवां आधिभौतिकताप निरूपणनाम ‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है । Tags : dasbodhramdasदासबोधरामदास समास सातवां आधिभौतिकताप निरूपणनाम Translation - भाषांतर ॥ श्लोक ॥ सर्वभूतेन संयोगात् सुख दुःखं च जायते । द्वितीयताप संतापः सत्यं चैवाधिभौतिकः ॥१॥सर्व भूतों के संयोग । से उपजने लगे सुख दुःख । ताप होने पर हो मन भंग । इसका नाम आधिभौतिक ॥२॥ फिर भी इन आधिभौतिक के लक्षण । प्रांजल करूं निरूपण । जिससे अनुभव में आये पूर्ण । पहचान तापत्रयों की ॥३॥ ठोकर लगती टूटते कांटे । खनखनाते शस्त्रों की चोंटे । शल्य फांस सराटा चुभते । इसका नाम आधिभौतिक ॥४॥ आग और सुरसुरी । एकाएक लगे शरीरी । बर्रा आकर दंश करे । इसका नाम आधिभौतिक ॥५॥मक्खी गोमक्खी मधुमक्खी । चींटी तिलचिट्टा मच्छर दंशी । हरी इल्ली जोंक चिपके । इसे कहिये आधिभौतिक ॥६॥ पिस्सू, पिसोंले, लाल चीटें । अनाज की फांस चींटे खटमल । इसब भ्रमर किलनी के कष्ट । इनका नाम आधिभौतिक ॥७॥ कनखजूरा बिच्छू और सांप । व्याघ्र सियार और सुअर । साहि सांभर । इसका नाम आधिभौतिक ॥८॥जंगलीगाय जंगली भैंस । जंगली सुअर और भालू । जंगली हाथी पक्षियों के पंख । इसका नाम आधिभौतिक ॥९॥ मगर खीच कर ले जाये । या फिर अकस्मात् डूब गये । या झरने में गिर गये । इसका नाम आधिभौतिक ॥१०॥नाना विषैले सर्प अजगर । नाना मगर जलचर । नाना वनचर अपार । इसका नाम आधिभौतिक ॥११॥अश्व वृषभ और खर । श्वान शूकर जंबुक मार्जर । ऐसे बहुविध क्रूर । इसका नाम आधिभौतिक ॥१२॥ऐसे ये कर्कश भयानक । बहुविध दुःखदायक । दुःख दारूण अनेक । इसका नाम आधिभौतिक ॥१३॥ दिवारे छत गिरते । चट्टाने तहखाने में दबते । वृक्ष शरीर पर टूटते । इसका नाम आधिभौतिक ॥१४॥किसी का शाप लगता । कोई जादू टोना करता । अचानक ही कोई पागल होता । इसका नाम आधिभौतिक ॥१५॥ कोई एक चाल चले । कोई एक भ्रष्ट करे । कोई एक पकड ले गये । इसका नाम आधिभौतिक ॥१६॥ किसी एक ने दिया विष । कोई एक लगाये दोष । कोई एक डालता पाश । इसका नाम आधिभौतिक ॥१७॥अवचित सेर का चिक लगे । या भिलवां के फोडे आये । धुंये से प्राणी घबराये । इसका नाम आधिभौतिक ॥१८॥ बिच्छू पर पाव पडे । शिला के नीचे हांथ दबे । दौडते हुये गिर पडे । इसका नाम आधिभौतिक ॥१९॥वापी कूप सरोवर । गर्त में या नदी के तीर पर । एकाएक गिर पडे शरीर । इसका नाम आधिभौतिक ॥२०॥ दुर्ग के नीचे लुढकते । पेड़ पर से गिरते । उस दुःख से चिल्लाते । इसका नाम आधिभौतिक ॥२१॥ शीत से ओंठ तडकते । हाथ पांव ऐडियां फटते । कीचड से रोग होते । इसका नाम आधिभौतिक ॥२२॥अशनपान के समय । उष्ण रस से जिव्हा जले । दांत भींचते और टूटते । इसका नाम आधिभौतिक ॥२३॥पराधीन बालपन में । कुशब्दमार सहना पडे । अन्न वस्त्र का अभाव रहे । इसका नाम आधिभौतिक ॥२४॥ससुरवास गालगुच्चे से । ठूसे दागते चिमटे । आया रूदन तो न सम्हले । इसका नाम आधिभौतिक ॥२५॥ चूकने पर कान पकड़ते । या आखों में हिंग डालते । सर्वकाल धार पर धरते । इसका नाम आधिभौतिक ॥२६॥ नाना प्रकार के मार । दुर्जन मारते अपार । दूर होता नैहर । इसका नाम आधिभौतिक ॥२७॥ कर्ण नासिका छेदना । बलपूर्वक पकड़कर गोदना । गल्ती होने पर दागना । इसका नाम आधिभौतिक ॥२८॥ परचक्र में पकड़ ले गये । नीच याति में पहुंचाये । दुर्दशा पाकर मर गये । इसका नाम आधिभौतिक ॥२९॥नाना रोग उद्भवित हुये । जो आध्यात्मिक में कहे । वैद्य पंचाक्षरी बुलाये । इसका नाम आधिभौतिक ॥३०॥नाना व्यथाओं का निरसन । करने को औषध दारूण । बलपूर्वक देते जान । इसका नाम आधिभौतिक ॥३१॥ नाना वल्लरियों के रस काढा चाटन कर्कश । लेने पर होता क्लेश । इसका नाम आधिभौतिक ॥३२॥जुलाब और वमन के औषध देते । पथ्य कठिन कहे जाते । अनुपान चूकने पर विपत्ती में आते । इसका नाम आधिभौतिक ॥३३॥ चीरफाड शस्त्र से रक्त निकालना । गर्म सलाखों से शरीर टोंचना । उस दुःख से दुखी होता प्राणी । इसका नाम आधिभौतिक ॥३४॥ भिलवां लगाते बिब्बा डालते । नाना दुःखों से तडपाते । नस तोडते जोंक लगाते । इसका नाम आधिभौतिक ॥३५॥ बहुत रोग बहुत औषध । कहने पर अपार अगाध । प्राणी दुःखी होकर पाये खेद । इसका नाम आधिभौतिक ॥३६॥ बुलाया पंचाक्षरी । धुवां मार पीडा करी । नाना यातनायें ऐसी । है आधिभौतिक यह चतुर जानें ॥३७॥जनों को डकैती डालकर । यातना देते तस्कर । मन को दुःख होता अपार । इसका नाम आधिभौतिक ॥३८॥ अग्नि के ज्वाल से होये दग्ध । उसके दुख से प्राणी व्याकुल । हानि होने पर विह्वल । इसका नाम आधिभौतिक ॥३९॥ नाना मंदिर सुंदर । नाना रत्नों के भंडार । दिव्यांबर मनोहर । दग्ध होते ॥४०॥ नाना धान्य नाना पदार्थ । नाना पशु नाना स्वार्थ । नाना पात्र नाना अर्थ । मनुष्य भस्म होते ॥४१॥ खेत में आग लगने पर । अनाज कडबी और कतवार । ईक्षुदंड जाते जलकर । अकस्मात ॥४२॥ ऐसा अग्नि लगा । या किसीने लगाया । हानी हुई या स्वयं झुलसा । इसका नाम आधिभौतिक ॥४३॥ऐसे कहा जाये बहुत । होते वन्ही के आघात । उस दुःख से दुखी हो चित्त । इसका नाम आधिभौतिक ॥४४॥ खोये बिसरे या छोडे । नष्ट होये गंवाये फूटे या पडे । असाध्य होता किसी ओर से । इसका नाम आधिभौतिक ॥४५॥ प्राणी स्थानभ्रष्ट हो गये । नाना पशु खो गये । कन्यापुत्र चोरी हो गये । इसका नाम आधिभौतिक ॥४६॥तस्कर अथवा दावेदार । एकाएक करते संहार । ले जाते पशु लूटते घर । इसका नाम आधिभौतिक ॥४७॥नाना धान्य काटते केले तोडते । पान की बाडी में नमक डालते । ऐसे नाना आघात करते । इसका नाम आधिभौतिक ॥४८॥ कपटी उठाईगिरा मुफ्तखोर । सुवर्णपंथी जादूगर । ठग बदमाश और डकैत । डाका डालते ॥४९॥ गठरी चोर द्रव्य चुराते । नाना अलंकार निकालते । नाना वस्तु मूषक ले जाते । इसका नाम आधिभौतिक ॥५०॥ बिजली गिरती हिमपात होता । प्राणी प्रभंजन में फंसता । या वह बाढ़ में डूबता । इसका नाम आधिभौतिक ॥५१॥ भंवर मोड़ और धार । कचरा लेकर लहर अपार । बिच्छू कनखजूरा अजगर । बह जाते ॥५२॥ उसमें प्राणी फंसता । पत्थरों अथवा द्वीप में अटका । डूबते डूबते बचता । इसका नाम आधिभौतिक ॥५३॥मन को ना भाये संसार । कुरूप कर्कश स्त्री क्रूर । विधवा कन्या मूर्ख पुत्र । इसका नाम आधिभौतिक ॥५४॥ भूत पिशाच लगे । शरीर पर से हवा जाये । झूठे मंत्र से प्राणी चंचल होये । इसका नाम आधिभौतिक ॥५५॥ ब्राह्मणसमंध शरीर में । बहुसाल पीडा करे । शनेश्वर का धोखा धरे । इसका नाम आधिभौतिक ॥५६॥ नाना ग्रह काल वार । कालतिथि घातचंद्र । कालक्षण घातनक्षत्र । इसका नाम आधिभौतिक ॥५७॥ छींक पिंगला और छिपकली । उल्लू तीतर काक की कलकली । लगी चिंता की काजल काली। इसका नाम आधिभौतिक ॥५८॥ मशाल में ज्योतिष भाग्य कह गया । अदर धोखा लग गया । दुःस्वप्न से जाग गया । इसका नाम आधिभौतिक ॥५९॥ भालू भाँके श्वान रोये । छिपकली शरीर पर आ गिरे । नाना चिन्ह चिंता बढ़ाये । इसका नाम्र आधिभौतिक ॥६०॥ बाहर निकलने पर अपशकुन । नाना प्रकार से विघ्न । उसके कारण हो उदास मन । इसका नाम आधिभौतिक ॥६१॥ प्राणी बंधन में फंस गया । यातना का भोगी हुआ । नाना दुःखों से दुःखी हुआ । इसका नाम आधिभौतिक ॥६२॥ प्राणी को राजदंड प्राप्त । जेरबंद चाबुक बेत । दरीमार तलवेमार आघात । इसका नाम आधिभौतिक ॥६३॥कोडे जटायें और छाल । बहु प्रकार के अनेक । बहुत ताड़ना आधिभौतिक । इसका नाम बोलिये ॥६४॥मुदगलमार बारूद मार । चौ दिशा से खींच डंडे की मार । घूंसे गर्दन पर घुटनों पर मार । इसका नाम आधिभौतिक ॥६५॥ लातें थप्पड और गोबर की मार । कानों में कंकड पत्थर की मार । नाना प्रकार की मार । इसका नाम आधिभौतिक ॥६६॥ टांगना चापना मुश्के डालना। बेडी बुधनाल कोलदंड देना । न हिलना डुलना । इसका नाम आधिभौतिक ॥६७॥ नाक में चूने का पानी । नमक पानी राई पानी । सताये डाल कर गुड़ का पानी । इसका नाम आधिभौतिक ॥६८॥ जल में डुबाकर रखते । बांध कर हांथी सम्मुख डालते । हांकते छेडते आते जाते । इसका नाम आधिभौतिक ॥६९॥ कर्णछेद घ्राणच्छेद । हस्तछेद पादछेद । जिव्हाछेद अधरछेद । इसका नाम आधिभौतिक ॥७०॥ तीर की मार सूली पर चढ़ाना । नेत्र वृषण निकाला जाना । नख नख में सुई मारना । इसका नाम आधिभौतिक ॥७१॥ वजन कम करवाते । पर्वत से लुढकाया जाये । या तोप के मुख से उड़ाया जाये । इसका नाम आधिभौतिक ॥७२॥ कान में खूंटे ठोंकते । अपान में कील मारते । चमडी उधेडकर फेंकते । इसका नाम आधिभौतिक ॥७३॥निकाले मांस बोटी बोटी कर । अथवा गले में कांटा डालकर । गले को चिमटा लगाकर । इसका नाम आधिभौतिक ॥७४॥ सीस पिलाना विष देना । अथवा शिरच्छेद करना । या पांव के नीचे डालना । इसका नाम आधिभौतिक ॥७५॥ आंग पर गिरगिट बिल्ली छोड़ते । या फांसी पर लेकर जाते । नाना प्रकार से पीडा करते । इसका नाम आधिभौतिक ॥७६॥ श्वानप्रलय व्याघ्रप्रलय । भूतप्रलय मगरप्रलय । शस्त्रप्रलय विद्युतप्रलय । इसका नाम आधिभौतिक ॥७७॥नसें खींच कर तोड़ते । मशाल से झुलसाते । ऐसी नाना विपत्ति आते । इसका नाम आधिभौतिक ॥७८॥मनुष्यहानि वित्तहानि । वैभवहानि महत्त्वहानि । पशुहानि पदार्थहानि । इसका नाम आधिभौतिक ॥७९॥बालपन में मरे माता । तारुण्य में मरे कांता । वृद्धपन में मृत्यु सूता । इसका नाम आधिभौतिक ॥८०॥दुःख दारिद्रय और ऋण । विदेश भागता जाना लूट । आपदा विपत्ति कदान्न । इसका नाम आधिभौतिक ॥८१॥ विलाप महामारी प्रलय । युद्ध में होनेपर पराजय । आप्त लोगों का होता क्षय । इसका नाम आधिभौतिक ॥८२॥ कठिनकाल और दुष्काल । सशंक और बुरा समय । उद्वेग चिंता से व्याकुल । इसका नाम आधिभौतिक ॥८३॥ घानी चरखी में पिसा । चक्के के नीचे फंसा । नाना वन्हीं में घुसा । इसका नाम आधिभौतिक ॥८४॥ नाना शस्त्रों ने भेदा । नाना श्वापदों ने भक्षण किया । नाना बंधनों में पड गया । इसका नाम आधिभौतिक ॥८५॥ नाना कुवासों से घबराये । नाना अपमानों से लजाये । नाना शोकों से प्राणी जूझे । इसका नाम आधिभौतिक ॥८६॥ ऐसे कहने को अपार । हैं दुःखों के गिरिवर । श्रोता जानिये विचार । आधिभौतिक का ॥८७॥ इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे आधिभौतिकताप निरूपणनाम समास सातवां ॥७॥ N/A References : N/A Last Updated : February 13, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. 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