हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|संध्या-प्रकरण|संध्याका समय| संध्या न करनेसे दोष संध्याका समय संध्याका समय संध्याकी आवश्यकता संध्या न करनेसे दोष संध्या कालकी व्याख्या संध्यास्तुति संध्याके लिये पात्र आदि संध्योपासन-विधि मार्जन-विनीयोग-मन्त्र संध्याका संकल्प प्राणायामका विनियोग मस्तकपर जल छिडकनेके विनियोग और मन्त्र अघमर्षण और आचमनके विनियोग और मन्त्र सूर्यार्घ्य-विधि सूर्योपस्थानके मन्त्र संध्या न करनेसे दोष प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा संध्या न करनेसे दोष Translation - भाषांतर संध्या न करनेसे दोषजिसके संध्याका ज्ञान नही किया, जिसने संध्याकी उपासना नही की, वह ( द्विज ) जीवित रहते शुद्र-सम रहता है और मृत्यृके बाद कुत्ते आदिकी योनिको प्राप्त करता है-संध्या येन न विज्ञाता संध्या येनानुपासिता।जीवमानो भवेच्छूद्रो मृत: श्वा चाभिजायते॥ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य आदि संध्या नही करे, तो वे अपवित्र है और उन्हे किसी पुण्यकर्म करनेका फ़ल प्राप्त नही होता।संध्याहीनोऽशुचिर्नित्यमनर्ह: सर्वकर्मसु।यदन्यत् कुरुते कर्म न तस्य फ़लभाग्भवेत॥ N/A References : N/A Last Updated : November 26, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP