संध्याकी आवश्यकता

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


संध्याकी आवश्यकता
नियमपूर्वक जो लोग प्रतिदिन संध्या करते हैं, वे पापरहित होकर सनातन ब्रह्मलोकको प्राप्त होते हैं --

संध्यामुपासते ये तु सततं संशितव्रता: ।
विधूतपापास्ते यान्ति ब्रह्यलोकं सनातनम् ॥

इस पृथ्वीपर जितने भी स्वकर्मरहित द्विज ( ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य ) है, उनको पवित्र करनेके लिये ब्रह्माने संध्याकी उत्पात्ति की है । रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, व त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते हैं--

यावन्तोऽस्या पृथिव्यां हि विकर्मस्थास्तु वै व्दिजा:।
तेषां वै पावनार्थाय संध्या सृष्टा स्वयम्भुवा॥
निशायां वा दिवा वापि यदज्ञानकृतं भवेत्‍।
त्रैकाल्यसंध्याकरणात् तत्सर्व विप्रणश्यति॥

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Last Updated : November 26, 2018

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