हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|संध्या-प्रकरण|संध्याका समय| संध्याकी आवश्यकता संध्याका समय संध्याका समय संध्याकी आवश्यकता संध्या न करनेसे दोष संध्या कालकी व्याख्या संध्यास्तुति संध्याके लिये पात्र आदि संध्योपासन-विधि मार्जन-विनीयोग-मन्त्र संध्याका संकल्प प्राणायामका विनियोग मस्तकपर जल छिडकनेके विनियोग और मन्त्र अघमर्षण और आचमनके विनियोग और मन्त्र सूर्यार्घ्य-विधि सूर्योपस्थानके मन्त्र संध्याकी आवश्यकता प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा संध्याकी आवश्यकता Translation - भाषांतर संध्याकी आवश्यकतानियमपूर्वक जो लोग प्रतिदिन संध्या करते हैं, वे पापरहित होकर सनातन ब्रह्मलोकको प्राप्त होते हैं --संध्यामुपासते ये तु सततं संशितव्रता: ।विधूतपापास्ते यान्ति ब्रह्यलोकं सनातनम् ॥इस पृथ्वीपर जितने भी स्वकर्मरहित द्विज ( ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य ) है, उनको पवित्र करनेके लिये ब्रह्माने संध्याकी उत्पात्ति की है । रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, व त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते हैं--यावन्तोऽस्या पृथिव्यां हि विकर्मस्थास्तु वै व्दिजा:।तेषां वै पावनार्थाय संध्या सृष्टा स्वयम्भुवा॥निशायां वा दिवा वापि यदज्ञानकृतं भवेत्।त्रैकाल्यसंध्याकरणात् तत्सर्व विप्रणश्यति॥ N/A References : N/A Last Updated : November 26, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP