ऋषिस्मरण

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


भृगुर्वसिष्ठ: क्रतुरड्गिराश्च
मनु: पुलस्त्य: पुलहश्च गौतम: ।
रैभ्यो मरीचिश्च्यवनश्च दक्ष:
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
(वामनपु० १४ । ३३)
'भृगु, वसिष्ठ, क्रतु, अड्गिरा, मनु, पुलस्त्य, पुलह, गौतम, रैभ्य, मरीचि, च्यवन और दक्ष -- ये समस्त मुनिगण मेरे प्रात: कालको मड्गलमय करें ।'
सनत्कुमार: सनक: सनन्दन: सनातनोऽप्यासुरिपिड्गलौ च ।
सप्त स्वरा: सप्त रसातलानि कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥  
सप्तार्णवा: सप्त कुलाचलाश्च सप्तर्षयो द्वीपवनानि सप्त ।  
भूरादिकृत्वा भुवनानि सप्त कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥  
(वामनपु० १४ । २४,२७)
'सनत्कुमार, सनक, सनन्दन, सनातन, आसुरि और पिड्गल -- ये ऋषिगण; षड्ज, ऋषभ, गान्धार, मध्यम, पञ्चम, धैवत तथा निषाद -- ये सप्त स्वर; अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल तथा पाताल -- ये सात अधोलोक सभी मेरे प्रात:कालको मड्गलमय करें । सातों समुद्र, सातों कुलपर्वत, सप्तर्षिगण, सातों वन तथा सातों द्वीप, भूर्लोक, भुवर्लोक आदि सातों लोक सभी मेरे प्रात:कालको मड्गलमय करें ।

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Last Updated : November 25, 2018

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