हिंदुस्थानीं पदें - पदे ११ ते १५

वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्‍चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.


पद ११
नीरनार परबत बिचमो गुरुराज बिराजत है ॥धृ॥
हानाकु काठवाड बिच ठाडे । उंच भगवे झेंडे गाडे ।
हानाकु झरझराट खुव छोडे । उपर बादलके जुंबाडे जुगते
है पहाडमे ॥१॥ जमियलसुतर सवारी दौडे ।
दामोदर बिनि पर ठाडे । भावनाथ नौबतकू झाडे ।
पारश कोतवाल है घोडे । सोरटके माहालमे ॥२॥
निशान रामानंद फडाडे । अंबा राग रागनि छेडे ॥
औधड छडीदार है ठाडे । गोरख जिलीब लेकर दौडे ॥
चढकर आंबारीमो ॥३॥
उंचे झूकर हे गिरिराज तापर मूढा है दासाज ॥
तामें बैठें गरिबनवाज । श्रीदत्तात्रय गुरुमहाराज ॥
शंकराच्यारज खवासीनमो ॥४॥
पाछें अनुसूया माताजी । दुमदारी घर गुरुमहाराज ॥
निरंजन कहे कंदमुलाजी । पुकारता है गुरुजी गुरुजी ॥
फिरत है जंगलमे ॥५॥

पद १२
तनका नही भरोसा बे । मतकर उनकी आसा बे ॥
खाक जमाकर वोछा पाया । पानी बिना बनाया ॥
उसकी दिवाल मजबुत नहि है वैसी है यह काया ॥१॥
घास जलाकर ताप बनाया सहजासहज बुझावें
वैसी नरतनु साची नहि है हलखपलखमो जावे ॥२॥
खन आंदर खन बाहेर ये दम चलता हरदम ख्याली ॥
बाब पकडकर मोट बंधि है जबि पडेगी खालीं ॥३॥
निरंजननें येही समकर गुरुपग ससि मिलाया ॥
श्रीरघुनाथमें हरसे साच्या अजरामर पद पाया ॥४॥

पद १३
दुनिया बडी दुरंगी बे कीसे नहि कहे चंगी ॥धृ०॥
घरमे लडके बाले नहि तो कहते है ना पूता ॥
बेटा बेटी बहुत भये तो कहते हुवा कुत्ता ॥१॥
पापी पापी उसकू कहते जीस घरे दौलत भारी ॥
छोड दिया तो नामर्दा है करके लेई फकीरी ॥२॥
जटा बढाकर खाक लगाई उसकू कहते ढोंगी ॥
दुनियासरिखी रहन चलेतो उसकू कहते भोगी ॥३॥
ग्गान समजकर ध्यान किया तो सिद्धीकू बतलाना ॥
बडी करामत उसकूं कहते अधोगतीकू जाना ॥४॥
निरंजन रघुनाथ हुकुम है सब दुनियासे रडना ॥
भले बुरेसे क्या मतलब है आपना कारज करना ॥५॥

पद १४
साधु समागम सारो भाई । सहज तरोगे ये भवडोहीं ॥धृ॥
काहेकु तीरथ फीरत ज्याना । काहुकेर बात पाव दुखाना ॥१॥
जपतपसाधन काहेकू होना । सिस बहाकर देह सुखाना ॥२॥
साच गुरूपग सीस मिलावो । नीरंजनपद आक्षइ पावो ॥३॥

पद १५
काहेकु जोग लियामेरे भाई । ग्यानबिना चिपी उमर खोई ॥धृ॥
धोती छोड लंगोटी डारी । खाकलगाकर देह बिघारी ॥१॥
सिरपर भार जटाका लीया । च्यादर आचला लाल रंगाया ॥२॥
घरघर भिछ्या मांगत खाया । घास बिछाकर आसन कीया ॥३॥
नीरंजनपद भेद न पाया । ग्यान गुरू बिज माटि मिलाया ॥४॥

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Last Updated : November 25, 2016

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