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प्रसेनजित्
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প্রসেনজিত্
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प्रसेनजित
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प्रसेनजीत
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প্রসেনজিত
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ପ୍ରସନ୍ନଜିତ
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પ્રસેન
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پرسینجت
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پرسینٛجِت
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ਪ੍ਰਸੇਨਜਿਤ
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ପ୍ରସେନଜିତ
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પ્રસેનજિત
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विश्वसाह्व
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विरूढक
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सुयज्ञा
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गण्डक
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बिंबिसार श्रेणिय शिशुनाग
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क्षुद्रक
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रेणु
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हरिवंश पर्व - द्वादशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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प्रसेन
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सेनजित्
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ४५
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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रेणुका
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उमासंहिता - अध्यायः ३७
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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गौरी
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सूर्यवंश
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः ७
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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कौमारिकाखण्डः - अध्यायः ०५
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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पुराणों में निर्दिष्ट राजाओं की तालिका
पुराणों में निर्दिष्ट राजाओं की तालिका
पौराणिक साहित्य में निर्दिष्ट विभिन्न वंशावलियों का निर्देश इससे पहले ही किया जा चुका है । इन राजाओं की जो जानकारी उपलब्ध है, उससे उनका निश्चित कालनिर्णय एवं उनके समकालीन अन्य राजाओं की पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है ।
इसी जानकारी को मूलाधार मान कर पौराणिक साहित्य में निर्दिष्ट राजाओं की तालिका अगले पृष्ठ पर दी गयी है, जहाँ इन राजाओं की नामावलि सूर्य एवं सोम वंशों के विभिन्न उपशाखाओं के अनुक्रम से दी गयी है।
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उत्तरार्धम् - अध्यायः २६
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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मध्यम भागः - अध्यायः ६३
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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श्रीविष्णुपुराण - चतुर्थ अंश - अध्याय २
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है, वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः १३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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