अलंबुसा, अवलंबुसा n. एक देवस्त्री । एक बार ब्रह्मदेव की सभा मे नृत्य करते समय हवा से इसके वस्त्र उडे । तब वहॉं उपस्थित अष्टवसुओं में से विधूमा नामक वसू, इसे देख कर कामपीडित हुआ । तब इन दोनो को ब्रह्मदेव का शाप मिल कर, विधूमा को मनुष्ययोनी के राजकुल में सहस्त्रानीक नाम से, तथा अलंबुसा को कृतवर्मा राजा के कुल में मृगवती नाम से जन्म लेना पडा । आगे चल कर, इन दोनों का विवाह हो कर अलंबुस गर्भवती हुई । तब रक्त के समान लाल कुएँ में इसके स्नान करने के कारण, एक पक्षी ने पका फल समझ कर इसे ऊपर उठाया, तथा उँचाई पर से उदयाचल पर्वत की गुफा में डाल दिया । उससे इसे मूर्च्छा आ गई । परंतु शीघ्र ही होश में आ कर, यह पतिविरह के कारण शोक करने लगी । इतने में जमदग्नि मुनि ने इसका विलाप सुन कर इसकी सांत्वना की, तथा इसें अपने आश्रम में लाया । कुछ काल बाद यह प्रसूत होकर, इसे उदयन नामक पुत्र हुआ । आगे चल कर, जा कर पुत्र समवेत, उसने इसे राज्य में वापस लाया । तदनंतर उदयन को गद्दी पर बिठा कर, उसने अलंबुसा के साथ चक्रतीर्थ पर स्नान किया । उससे सहस्त्रानीक तथा अलंबुसा ब्रह्मशाप से मुक्त हो कर पूर्वस्थिति के प्रत गये
[स्कंद. ३.१.५] ।