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वस्त्राचा संन्याशीः वंद्य जगत्राशीं

   
Script: Devanagari

वस्त्राचा संन्याशीः वंद्य जगत्राशीं

   ( महानु.) एखादा संन्यासी एकाच वस्त्राइतकी मालमत्ता जवळ असतांना देखील सर्व जगाला वंदनीय होऊन राहतो.

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वस्त्राचा संन्याशीः वंद्य जगत्राशीं   वंद्य   वस्त्राचा ताणा   जनीं निंद्य ते सर्व सोडून द्यावें। जनीं वंद्य तें सर्व भावें करावें।।   estimable   respectable   honorable   good   शेव घालणें   अणकट   अणकटी   आंगटी   कांठळी   काठळी   आंगसां   अळीपिळी   दामनगीर   तिरांटी   धांदोटी   अळापिळा   पदर फाडून देणें   ओंचा   किल्बगाही   भौमानेस्त   आठाण   गुढा   ताणा बाणा   राजालें धुपाटणें, मडवळालें गांडपुसणें   धांदी   परिवंटु   परिवटु   हज्रत   हज्रती   खाटसरी   कनवट   वाभा   वाभाडा   साडेतीन वस्त्रें   सणंग   सणग   सनग   अब्रुचे कांकडे   परिवंट   पल्लवग्राही पांडित्य   सोगा   चोळा   जननी जन्मभूमिश्र्च स्‍वर्गादपि गरीयसी।।   झोळी   वाभारा   साडेतीन पोशाक   साडेतीन पोशाख   चोला   बुरखा   बोखारा   किबलगाही   श्रीमान   साहानक   साहानुक   अर्चनीय   झोल   झोळ   कडोसी   गोशा   गोसा   बुरका   रुइटी   उंचा   शिरसा   अर्च्य   तुका म्‍हणे करून दावी। त्‍याचे पाय माझे जिवीं।।   नमस्कारणे   किनारी   गोषा   संजाप   संजाफ   संजाब   गीर्वाण   झोला   मजला   वंदनीय   किनार   कडोसरी   कडोस्त्री   ओली   अंचल   अंचळ   गोट   गोपा   अढें   दावण   ताडपत्री   मैदान   धारी   धडी   लगत   पदर   वंदणे   शेव   कडसणी   झटकारा   
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