Dictionaries | References

वयोगते किं वनिताविलासः

   
Script: Devanagari

वयोगते किं वनिताविलासः

   वृद्धपणीं तरुणीशीं विलास कसा होणार ? जोंपर्यंत तारुण्य आहे तोंपर्यतच तो केलेला बरा. योग्य वेळीं त्या त्या काळचीं कार्ये करावीं
   मग अवेळीं तीं होत नाहींत. तु ०- वयसि गते कः काम विकारः। शुष्के नीरे कः कासारः। क्षीणे वित्ते कः परिवारो। ज्ञाते तत्वे कः संसारः॥ -चर्पटपंजरी.

Related Words

वयोगते किं वनिताविलासः   किं   वयोगते   वचने का (किं) दरिद्रता   बुभुक्षितः किं न करोति पापं ।   यस्म नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किं?   किं प्रयोजनेन   राम मर्यो किं रावण मर्यो   मरावें काशी, किं मरावें मिराशीं   मरावें नांवाला, किं मरावें गांवाला   पत्तने विद्यमानेऽपि ग्रामे किं रत्न परीक्षा   वयस्   सेतु   वदन्त   वदन्ती   रक्ताधरा   धूसरी   विचित्रभूषण   विद्वज्जनपरिसेविता   विमोक्षकरा   वेगजवा   संवेगधारिणी   वरुणवेगा   वसन्तशेखर   व्यूहराजेन्द्रा   आकाशप्लवा   बह्वाश्रया   लक्षणोत्तमा   मुनीन्द्रा   मणिचूडा   धर्मधातुपरिरक्षिणी   नूपुरोत्तमा   पृथिव्युपसंक्रमणा   सुजनपरिसेविता   सुदंष्ट्रा   सुरेन्द्रमाला   विभूषितालंकारा   शतयूधा   शताकरा   भूषणेन्द्रप्रभ   योगानुगता   रत्नकिरीटिन्   मणिधारिणी   मणिरोचनी   महाधर्म   द्रुमकिंनरराज   द्रुमरत्नशाखाप्रभ   धर्मकाङ्क्षिणी   सुगेष्णा   सुदर्शनप्रीतिकर   सुरेणुपुष्पध्वज   ग्रामथिल्लर   अनुद्योगः   हर्क   कां तर   किंस   किन्तमाम्   किन्तराम्   ऐश्र्वर्यपीठ   कैंदास   कुटीरवासी   वायुवेगा   विस्तीर्णललाटा   वेळकोट   सांगत्यम्   शारु   सदानुकालदर्शिनी   सदानुवृत्ति   अभिज्ञातार्थः   अवलम्बकः   तमकूप   बोङ्गाईगावनगरम्   मदविह्वलता   मर्त्यमुख   न देखे रवि, तें देखे कवि   हेळु   सृतम्   स्वातिमुख   अद्वययुक्ति   p/e ratio   सो कव्वोमे एक बगलाभी सरस है   स्वापतेयम्   कुड्ड्या हातांतलो दिवो   कुरड्या हातांतुलो दिवो   why   आतुणें   आर्त्तभूत   किंजप्य   किंतुघ्न   किंस्तुघ्न   किञ्च   किदर्भ   किन्तु   उपदेशनम्   उपपुरम्   इक्षुचूषणम्   ऐक्यास येणें   कैंकिरात   अंगसंकोच   घमघमणें   
Folder  Page  Word/Phrase  Person

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP