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बुंदसे गई वो हौदसे आती नहीं

   
Script: Devanagari

बुंदसे गई वो हौदसे आती नहीं

   ( हिं.) क्षुल्लक गोष्टीकरितांहि एकदां नापत झाली म्हणजे ती कितीहि मोठया गोष्टीनें भरुन येत नाहीं. एकदां बादशहा व बिरबल एकत्र बसले असतां बादशहा अत्तर लावीत होता त्याचा एक थेंब खालीं पडला
   तो फुकट जाऊं नये म्हणून बादशहानें जमिनीवरुन बोटानें पुसून घेतला व हातास लावला. हें बिरबलानें पाहून त्याच्याकडे जरा तुच्छतादर्शक दृष्टीनें पाहिलें
   कारण बादशहाला एक अत्तराचा थेंब फुकट गेलेला सहन होत नाहीं असें त्यास दिसून आलें. बादशहाच्या ही गोष्ट लक्षांत येऊन बिरबलाच्या मनांतील हा किंतु निघून जावा म्हणून त्यानें एका दिवशीं मजलसींत अत्तरांचे हौद भरुन ते लोकांच्या अंगावर उडविले. त्यावेळीं बिरबल बादशहाकडे पाहून म्हणाला कीं, ‘बुंदसे गईवो हौदसे आती नहीं. ’ ‘ आतां बोलावण्यांत काय अर्थ आहे ? बुंदसे गयी वो हौदसे नहीं अती. ’ -प्रतिज्ञा २७७.

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