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आगे फडकत गोली, पीछे होत आरोली

   
Script: Devanagari

आगे फडकत गोली, पीछे होत आरोली

   बंदूक उडवली असतां आधी गोळी निघून जाते व मग आवाज होतो. प्रकाशापेक्षां ध्वनीची गति मंद असल्यामुळे बंदूक पेटलेली आधी दिसते व मागाहून आवाज ऐकूं येतो. प्रथम कार्य होऊन जाते व त्याचे परिणाम मागाहून दृष्टीस पडतात. ज्यावेळी छत्रसाल राजानें पहिल्या बाजीरावास साहाय्यास बोलाविले त्यावेळचे पुढील कवन प्रसिद्ध आहेः ‘जो गत ग्राह गजेंद्रकीऽसो गत भइ हय आज। बाजी जात बुंदेलनकी, राखो बाजी लाज।। हा कहे लछमी, ती कहे गजराज। आगे फडकत गोली, पीछे होय आवाज।।’

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