Dictionaries | References

अक्कल बडी कां लक्ष्मी (म्हैस) बडी

   
Script: Devanagari

अक्कल बडी कां लक्ष्मी (म्हैस) बडी

   पैसा श्रेष्ठ कीं बुद्धि श्रेष्ठ, असा जर प्रश्न पडला तर त्याचें कोणीहि, बुद्धि श्रेष्ठ, असेंच उत्तर देईल. कारण बुद्धि असेल तर पैसा वाटेल तेवढा मिळवितां येईल. पण बुद्धि नसेल तर जवळ असलेलें द्रव्यहि राखतां येणार नाहीं. ही म्हण पटवून देणार्‍या बर्‍याच गोष्टी सांगण्यांत येतात.

Related Words

म्हैस बडी कां अक्कल बडी   अक्कल बडी कां लक्ष्मी (म्हैस) बडी   बडी   राखण्याची बडी   लक्ष्मी   cudgel   लक्ष्मी बाई   काठी   बडी मारप   ਕੋਰੜੇ   ଧୌଟୀ   ધોંટી   धोंटी   دھونٹی   म्हैस   अक्कल   पैसा बडी खुशामत, पैसा बडी सलामत, पैसा बडी हजामत   बडी हातांत घेवप   हौस बडी, खर्ची थोडी   सुरतसे कीरत बडी   राज्ञी लक्ष्मी   घरमें घंटा और मिजाज बडी   धोलार बडी पट्टकीर पिशें खुबपटा   कां   آسہٕ   লাখুটি   লাঠী   ବତା   ડંડા   दान्दा   टाँगो   ಕೈಕೋಲು   वाकी म्हैस   रानटी म्हैस   वांकी म्हैस   जंगली भैंस   अक्कल दाढ   जंगली म्हैस   नवचंद्ररी म्हैस   नवचंदरी म्हैस   अक्कल जाणें   बाहेर बडी पगडी, घरीं म्हातारी उघडी   छड़ी   वाढे वाढे, अक्कल काढे   वरतीं मोल, पाण्यांत म्हैस   अक्कल विकून फुटाणे खाणें   अंतरंग लक्ष्मी   बडी कातरुन कुडके करुं येत, उदक कातरुन कुडके करुं येत?   हौस बडी खर्ची थोडी, बसावयास गेलों तर लंगडी घोडी   ऐरावती लक्ष्मी   ବାଡ଼ି   ചുള്ളിക്കമ്പ്   walking stick   लगुडः   ڈَنٛڈٕ   अक्कल पुढें धावणें   धनीण म्हणते म्हैस ठेविली, म्हैस म्हणते बटीक ठेवली   कां तर   भटाला आणि तट्टाला अक्कल नाहीं   कां कीं   ज्याचे हातीं काठी त्याची म्हैस   कां जें   ডাণ্ডা   লাঠি   ਸੋਟੀ   ડંગોરો   थखन   डंडा   కర్ర   वोरेतु बेडिक्की जावो, वोक्कल बेडिक्की जावो, बडी भटटा दुड्डु हत्तारी उड्डेयी   लक्ष्मी मोरीवाटें येणें   अग अग म्हशी, मला कां नेशी   महिषी   म्हैस बसली सखलीं, दोन्ही खळीं चुकलीं   म्हैस विते तें पारडयाकरितां, मालकाकरितां नाहीं   नांव लक्ष्मी व गवर्‍या वेची   नांव लक्ष्मी व गोर्‍या वेची   लक्ष्मीबाई   हौसकू मोल नहीं, गद्धेकू अक्कल नहीं   கழி   महाभारत कां माजवीता   ਅਕਲ ਦਾੜ੍ਹ   ଅକଲ ଦାନ୍ତ   ડહાપણની દાઢ   अकल दाढ़   अक्कलदाढ   ছড়ি   ਡੰਡਾ   ಕೋಲು   म्हैस आपल्या खाजेनें फळते, धन्याला दूध देण्यासाठीं फळत नाहीं   एक शेर विद्या आली जरी, दहा शेर अक्कल लागे वरी   लक्ष्मी पुसेना शंखाला, तो भीक मागे पोटाला   पाटलाची म्हैस व्याली म्हणून मठपती मिशा कातरुन घेतो   लक्ष्मी नामाभिधान, दर्शन जाहल्या न मिळे अन्न   दमडी रोकडी, कंबर कां वांकडी   खोटेंच बोलायचें मग थोडें कां? भुईवर निजायचें मग संकोच कां?   बोलायचें बोलून थोडें कां? रानांत निजून अडचण कां?   वांकडी म्हैस   जाफराबादी म्हैस   दुबरी म्हैस   
Folder  Page  Word/Phrase  Person

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP