कामाख्या सिद्धी - कामाख्या पूजन

कामरूप कामाख्या में जो देवी का सिद्ध पीठ है वह इसी सृष्टीकर्ती त्रिपुरसुंदरी का है ।

कामाख्या पूजन तथा कामाख्या सिद्धि
अब देवी के पूजन के लिए साधक को दत्त हो अग्रसर होना चाहिए । रक्त वस्त्र पर कामाक्षा यन्त्र अवश्य हो । इसके अतिरिक्त जो मन्त्र - यन्त्र - तन्त सिद्ध करना हो उसे भी रखकर साथ ही पूजन करें । यन्त्र - तन्त्र कितनी भी संख्या में पूजन के लिए रख दिए जाए, पूजन मात्र से सिद्ध हो जाते हैं किन्तु मन्त्र तो यथोचित संख्या में जपने से ही सिद्ध होंगे ।

ध्यान - महापद्मवनान्तः स्ये कारणानन्द विग्रहे ।
शब्दब्रह्ममयि स्वच्छे कामेश्वरि प्रसीदमे ॥

प्रार्थना
रक्ताम्भोधिस्थपीतोल्लसदरुण सरोजाधिरुढा कराब्जै । शूलं कोदण्ड मिक्षूद्भवमथगुणमप्यङ्कुशं पञ्चबाणान् ॥ बिभ्राणाऽसृक्कपालं त्रिनयनलसिता पीनवक्षो\रुहाढ्या देवी बालार्क वर्ण भवतु सुखकारी कामाक्ष्या परा नः ॥ तुलाकोटि पराक्रान्ता पादपद्मचराश्रिता । सिंहासनोर्द्ध संसुप्ता शवाशन कृताश्रया ॥ मणिप्रभा विघ्नेन शिवेन परमेष्ठिना । नवकेशेन संश्लिष्टा कामाख्या परमेश्वरी ॥
आह्वानः -- ॐ भगवती स्वकीय गण तथा परिवार सहिते इहागच्छ इह तिष्ठ, मम पूजा गृहाण, सम्मुखे भव वरदो भव ।
सिंहचर्मोत्तरासंगा कामाख्या विपलोदरी ।
वैयाघ्रचर्मवसना तथा चैव हरोदरी ॥
चण्डित्व चण्डिरुपोसि सुरतेजो महाबले ।
आगच्छ तिष्ठ यज्ञेस्मिन् यावत् पूजां करोम्यहम् ॥

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Last Updated : July 16, 2009

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