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निवेदन - कल कुँडल कान्ति कपोलन...

’निवेदन’ मे प्रस्तुत जो भी भजन है, वे सभी विनम्र भावोंके चयन है ।


कल कुँडल कान्ति कपोलन पै बिखरी अलकावलिया घुँघराली ।

अधरामृत स्वाद समुद्र भरी मुसकान छटा अति ही सुखकारी ॥

करती रहे वृष्टि कृपा की सदा करुणावरुणालय दृष्टि तुम्हारी ।

शशिमण्डल सो मुखमण्डल ये जिसे देख बनी हम दासी तुम्हारी ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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