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निवेदन - प्रभु मेरे अवगुण चित ...

’निवेदन’ मे प्रस्तुत जो भी भजन है, वे सभी विनम्र भावोंके चयन है ।


प्रभु मेरे अवगुण चित न धरो ।

समदरसी है नाम तिहारो , चाहे तो पार करो ॥१॥

इक लोहा पूजामें राखत, इक घर बधिक परो ।

पारस गुण अवगुण नहिं चितवे, कंचन करत खरो ॥२॥

एक नदिया एक नार कहावत, मैलो हि नीर भरो ।

जब मिलिकै दोउ एक बरन भए, सुरसरि नाम परो ॥३॥

एक जीव इक ब्रह्म कहावत, ’सूर’ श्याम झगरो ।

अबकी बेर मोहि पार उतारो, नहिं पन जात टरो ॥४॥

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Last Updated : January 22, 2014

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