प्रायश्चित्तव्रत - व्रत ३१ से ३५

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


( ३१ ) सांतपनव्रत ( प्रायश्चित्तेन्दुशेखर ) - पहले दिन केवल पञ्चगव्य ( गौके गोबर, गोमूत्र, दही, दूध और घी ) पीने और दूसरे दिन उपवास करनेसे ' सांतपनव्रत ' होता है ।

( ३२ ) यतिसांतपन ( प्रायश्चित्तेन्दुशेखर ) - तीन दिन पञ्चगव्य पीकर चौथे दिन उपवास और हवन करनेसे ' यतिसांतपनव्रत ' होता है ।

( ३३ ) षाडहिक सांतपन ( प्रायश्चित्तेन्दुशेखर ) - पाँच दिन पञ्चगव्य पीने और छठे दिन उपवास करनेसे ' षाडहिक सांतपनव्रत ' होता है ।

( ३४ ) साप्ताहिक सांतपन ( प्रायश्चित्तेन्दुशेखर ) - पञ्चगव्यके पाँच पदार्थोंको एक - एक करके यथाक्रम पाँच दिन पीने और छठे दिन कुशोदक पीकर सातवें दिन उपवास करनेसे ' साप्ताहिक सांतपन ' सम्पन्न होता है ।

( ३५ ) एकविंशदिनात्मक सांतपन ( प्रायश्चित्तेन्दुशेखर ) कुशोदक, गोबर, गोमूत्र, गोदुग्ध, गोदधि और गोघृतमेंसे एक - एकको तीन - तीन दिन पीकर ( १८ दिनके बाद ) तीन दिन उपवास करनेसे इक्कीस दिनका ' सांतापनव्रत ' होता है ।

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Last Updated : January 16, 2012

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