आश्विन शुक्लपक्ष व्रत - पुत्रप्राप्तिव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


पुत्रप्राप्तिव्रत

( भविष्योत्तर ) -

आश्विन शुक्ल एकादशीको स्त्रान करके उपवास रखे और भगवानका पूजन करके रात्रिके समय दूध देती हुई सवत्सा गौकी पूजा करके दूसरे दिन दिनभर व्रत रखे और रात्रिमें भोजन करे । इस प्रकार इसी ( आ० शु० ) एकादशीको १२ वर्ष या प्रत्येक महीनेकी शुक्ल द्वादशीको १२ मास व्रत करे और प्रतिमास या प्रतिवर्ष ( पहले - दूसरे मास या वर्षके क्रमसे ) १ - अपराजित, २ - अजातशत्रु, ३ - पुराकृत, ४ - सुभूति, ११ - सुमन और १२ - सुप्रचेता - इन १२ नामोंसे हरिका स्मरण करे तो देवतुल्य दीर्घायु पुत्र होता है ।

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Last Updated : January 21, 2009

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